थे देखो कोनी

का दीसै कोनी थानै!

बिना भासा रै

गाभा थकां

उघाड़ा-नागा म्हे।

नित कटीजां

मांय रा मांय

दिन-रात चूंटीजां

बट-बटीजै जबान

इण गत रै पाण तो

मांड राख्यो है—

मरणो..!

लाओ!

देवो म्हनै म्हारी भासा

भासा है संजीवणी।

स्रोत
  • पोथी : पाछो कुण आसी ,
  • सिरजक : डॉ.नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : सर्जना प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण