आक रौ

कीड़ौ

आक कुतरै

ढ़ाक रौ वासी

ढ़ाक नै

फौड़ा घालै

जोसी रै

टीपणै में

साव लिख्योड़ौ

कै इण तरां

आगै सूं आगै कुबध रौ

बंस चालै।

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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