मितवा चिंत्या दे अब छोड।
बाळ दे झूठी करबो होड॥
मिनख रौ है कांई बिसवास।
डबोदे बणै जका रौ खास॥
लोगड़ा कांई करसी बात।
बावळा क्यूं सोचै दिन-रात॥
तूं सिरजण अणमोल ईस रौ।
डर कांई अब धरा धीस रौ॥
आदम खोर अनोखी माया।
नहीं आपणां नहीं पराया॥
हुवैलो फेरूं नव परभात।
बावळा क्यूं सोचै दिन-रात॥
राख रै थोड़ो-सो तो धीर।
हळाई नूंवी घलसी बीर॥
जागसी जग में उजळी जोत।
पूत रो चोड़ै आसी पोत॥
बणैली नुंवी-नुंवी कै’णात।
बावळा क्यूं सोचै दिन-रात॥
सांच करम सब अेक राय है।
धरम धजा अर साथ न्याय है॥
भरोसो राख्यां जागै भाग।
बिलां में बड़सी काळा नाग॥
हेत री होवैली बरसात।
लोगड़ा करसी कांई बात
बावळा क्यूं सोचै दिन-रात॥