थोड़ो मधरो-मधरो बह रे, बैरी बासन्ती बायरिया,
थोड़ो धीरै-धीरै बह रे, बैरी बासन्ती बायरिया।
बागां फूल्या फूल केवड़ा, फूली केसर क्यारी रे,
गेंदा और गुलाब चमेली, हार सिंगार हजारी रे।
कोयल कूकै कूण सुणै, थूं पपीहा पीऊं-पीऊं कह रे,
थोड़ो धीरै-धीरै बह रे बैरी बासन्ती बायरिया॥
आम्बा फळिया आम रसीला, दाड़म-दाखां लूमी रे,
हरिया-भरिया रूंख बेलड़्यां, कांधै जाय विलूमी रे।
केसूला रा फूल केसरी वणी, आग मत दह रे,
थोड़ो मधरो-मधरो बह रे बैरी बासन्ती बायरिया॥
बाट निहारूं चढ़ी गोखड़ै, कद आसी पिव पाती रे,
साथणियां मोसा दे बोलै, म्हा सूं आती-जाती रे।
बागां हींडा पड़्या भंवर बिन, कुण मनै झोटा दे रे,
थोड़ो मधरो-मधरो बह रे बैरी बासन्ती बायरिया॥
कद ल्यासी पिव पीळो पोमचो, कद बासन्ती चोळी रे,
चंग बजाय गावै कद रसिया, म्हां संग खेलै होळी रे।
परदेसां बसिया बालम जा काग सनेसो दे रे,
थोड़ो मधरो-मधरो बह रे बैरी बासन्ती बायरिया॥