काळी-सी उमड़ी है कांठळ, झाड़ हुया है चेतन सारा।
तरपर-तरपर छांट पड़ै, तालरियां रळकै जळ धारा॥
डेडरिया बोलै डैरां में, खेतां में गूंजै किळकारां।
हरख लुळै मेह राज बधावां, काटौ आज अकाळी कारा॥
चट आथूणी ऊंडी चमकी, पट झर आयौ है परनाळौ।
रेत धरा अब राती-माती, बांधू आयौ है बरसाळो॥
बादळ लाया है बरसाळो॥
नाणां में बेकरियौ नैनौ, सोनैळौ हरसावै जी।
आकड़ियां रा पान हरा अर, सेंवण राग सुणावै जी॥
औ देखौ रींछां अेवड़ री, मगरां में मुळकावै जी।
बेल मतीरां चींबड़ री बा, पीळा फूल उगावै जी॥
गोफण रै गोळां सूं देखौ, गूंज्यौ है गाजी रौ गाळौ।
रेत धरा अब राती-माती, बांधू आयौ है बरसाळो॥
बादळ लाया है बरसाळौ॥
पुळ इण घोळी मिसरी पोखर, पालरियौ पसरायौ है।
गायां रै टोळां गैलां ई, ग्वाळां गीत घुरायौ है॥
टणमण यूं बाजै टोकरिया, अेवड़ियौ इतरायौ है।
हाकल सूं हेला देवै अर हिवड़ै घण हरसायौ है॥
नाणां में नाहर ज्यूं डोलै, पैंडौ कोस पचासां पाळौ।
रेत धरा अब राती-माती, बांधू आयौ है बरसाळो॥
बादळ लाया है बरसाळौ॥
ग्वार, बाजरा, मूंग मोठड़ी, हिम्मत नै क्यूं होसी हीड़ा।
भणत सजै खेतां में भेळी, ‘हो भाई’ रा देय हबीड़ा॥
खरा मानवी, खरी कमावै, चेतन है उवां रा चीड़ा।
थारी-म्हारी थिर राखै नी, बट ऊंचावै आफत-बीड़ा॥
खेतरपाळां भर्या खळा जी, तट किणसारां खोलौ ताळौ,
रेत धरा अब राती-माती, बांधू आयौ है बरसाळौ॥
बादळ लाया है बरसाळौ॥