एक कमेड़ी टूटी मेड़ी

बैठी आळै बचियां नेड़ी

बैठी बैठी बोली यूं-

मनरी चादर मैली क्यों?

बासी बातां री फुलवारी

आक बबूळा क्यारी-क्यारी

साझी पीड़ा थारी-म्हारी!

चुबसी कांटा बोवै क्यूं?

होसी पीड़ा रोवै क्यूं?

छान झूंपड़ी री रुखवाळी

काळ बैठ ग्यो डाळी-डाळी

लाड लडाया मौत रुखाळी

अणहोणी होवै क्यूं?

लोरी देतां रोवै क्यूं!

सूनैपण री सांस सुणीजै

लागी फांस रो दरद गुणीजै

भळै उधड़जा सदा बुणीजै

राख री रोटी पोवै क्यूं

जग जागै तूं सोवै क्यूं?

स्रोत
  • पोथी : जूझती जूण ,
  • सिरजक : मोहम्मद सदीक ,
  • प्रकाशक : सलमा प्रकाशन (बीकानेर) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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