करड़ में खांगो होय'र
बै रोज मूतै
म्हारली बाड़ में
अर सागै ई कुचरता जावै
टंटो
स्यात…
बळ्योड़ती कीड़्यां भी
पख म्हारो ही लेवै।
स्रोत
-
पोथी : ऊरमा रा अैनांण
,
-
सिरजक : देवीलाल महिया
,
-
संपादक : हरीश बी. शर्मा
,
-
प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली
,
- संस्करण : प्रथम