जुग-जुग करणा पड़्या काज अर जुग-जुग ही करणा पड़सी
भाग साथ नीं देवै तो भी औ जीवण जीणो पड़सी
साच धरम री खातर मिनख,
सगळो जीवण जीवै दुख भोग
इणरो जो नीं करै सम्मान,
उणरै धोक लगावै लोग
दिवलो जोयो साच-धरम रो, उणरो साथ निभाणो पड़सी
भाग साथ नीं देवै तो भी औ जीवण जीणो पड़सी
पांच पूत अर किसन भतीजो,
कुंती पग-पग दुख झेल्या
भरी सभा मांय लुटी द्रौपदी,
भीष्म, विदुर धृतराष्ट्र छतां
होणी नैं कुण टाळ सक्यो, होणी तो होयां सरसी
भाग साथ नीं देवै तो भी औ जीवण जीणो पड़सी
अेक करै कर-कर मरजावै,
दूजो बिन मेहनत पा जावै
भाग भरोसै बैठ्यां कीकर,
जतन जीवण रा कर पावै
बिन मांग्या मोती मिल जावै, मांग्यां मान गमाणो पड़सी
भाग साथ नीं देवै तो भी औ जीवण जीणो पड़सी