लोकराज रै पांच बरसी फेरै में

जद वै आया आगली वार

म्हारै बारणै-

लेवण आपरै पख में म्हारी हांमळ

मुळकतै उणियारां-

म्हैं ऊभौ रह्यौ अबोळौ

आपरी जिग्यां बांध्यां मींट-

वांनै अचूंभौ हुयौ

अर म्हनै नवौ तुजरबौ!

फगत वै'ही वै दीखै हा

बगत री काठी माथै असवार

स्यात वांरै हलायां हालै हौ वायरौ

आभै में फरूकती वांरी धजावां

चौफेर गूंजती वांरी जै-जैकार

वां आगै बध नै जोड्या दोनूं हाथ

म्हैं सोवचेती सूं सांभ ली काया री कंपूली!

वां कोड-कोड में पूछी

म्हारै सुख-सांयत री बात-

म्हनै मत्तैई ऊकलगी—

किरपा आपरी!

बात नै परोटण सारू

गांव-गळी अर घर-ग्वाड़ी रा

पूछ्या हाल-हवाल

जिका सांप्रत हा चौफेर

घरां री उडती रंगत अर

अबखता उणियारां री ओळ में-

म्हँ कांई तौ विगतावूं

वांनै काळजै री दाझ-

बिखै री बात,

अर किणरै पतियारै?

फगत खुद रै भाग रै ओळावै

मून धारियां काठी राखी कूंत

नीं दरसायौ बिरथा किरियावर,

धीजै सूं सांभ नै राख्यौ

खुद रौ अंतस निज री सूझ!

वां हंसतां हंसतां राख्यौ

म्हारै दुबळै खांधै आपरौ हाथ-

दीन्ही पूठै हळवी-सी थपकी

अर अपणायत दरसाई दोवड़ै कोडीपै

म्हैं मूंन धारियां सांभ लीवी

मुळकती मनवार अर टिकायां राखी पगां हेठली

जमीं माथै दीठ-

म्हैं ऊभौ रह्यौ अबोलौ अणमणौ-

देख्यां, वांनै अचूंभौ हुयौ

अर म्हनै नवौ तुजरबौ!

वां फेरूं अेकर लियौ आसरौ

कंवळी अर भरमीली भासा रौ

जिकी बरसां पैली

अरथहीण व्हेगी ही इण चौफेर में!

किया कितरा भांत भांत रा

कवल-कळा

ऊंधाय दियौ कळा अर कारीगरी रौ

सगळौ सराजाम

म्हारै अंतस री कळझळ

वांरी सुरता रै सारै नीं आई!

आपरै हीयै उफांण आवण सूं पैली

वां फेरूं अेकर चेतायौ-

अखरायौ म्हांरी पीढियां में सीर

तेवड़ी भांत-भांत री तरकीबां,

अर सेवट आंख्यां में आंख्यां घाल

आपरी मधरी भासा में म्हनै डकरायौ-

कीन्हा अबखी में आडा आवण रा कवल,

‘राज री मैर-माया सूं राम-रमी’ रा

म्हारा छेकड़ला बोल वांनै नीं भाया!

वांनै अचूंभौ हुयौ

अर म्हनै तुजरबौ नवौ-

नीं आई वांनै दाय भौळा टाबरां री मुळक

रूंखां री नरमाई,

जीवण री आसंग करती आंण

वानैं दर दाय नीं आई!

वां बिना दियां कीं पड़ूतर

परबारै फोर लीवी पूठ-

जांणै क्यूं, इण खोटै पगफेरै री रीत

म्हांनै नीं भायी,

नीं आई नचींती नींद आखी रात

म्हांनै अचूंभौ हुयौ

अर वांनै हुवैला स्यात् तुजरबौ नवौ।

स्रोत
  • पोथी : आगै अंधारौ ,
  • सिरजक : नन्द भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : Prtham