सरणाटां सूं कैय दौ
के कान में आंगळी घाल लै
म्हारै बरदास री, अबै थाग आयगी !
अंध विस्वासां अर
पांगळी मनस्यावां रै
पूस रौ ढिग
पसरियोडौ है चारू दिस,
लकवै सूं बीमार
इण जुग नै बचावरण री
तरकीब आ ई है।
के फूस नै लोपौ देय दां।
सूंतीजियोड़ा सपनां री
काळी कोटड़ी में बैठौ हूं
अेक हाड-पिंजर रै मांय, अटकियोडौ म्हैं
च्यारू कांनी बिखरियोड़ा
काच रा टुकड़ा
म्हनै पूरी जाणकारी है।
उण अदीठ छळावै री
जिकौ रचियौ गयो
पूरा जुग रै वास्तै।
अबै इण सूं पैली
के म्हारौ बैवतौ रगत
थारै मून री भांत
नाड़ में जम जावं
म्हैं अैलान करू
के इण सुकड़ीजती रोटी
अर घटतै मिनख-जमारै में
म्हैं थां सूंई पड़ियो
अर थांनै इज पकड़'र पाछौ ऊठूला।