सगळा मिनख
बणना चावै मसीहा
च्यारूं मेर जमावै भीड़
चैरां माथै चढा’र मुखौटा
बातां रा तूफाण उठावै
बायरा माथै
हिणहिणावता कागजी घोड़ा
उछाळो मारै
मुड़दां री बोल्यां रा बिम्ब
छल री रामनामी ओढ़’र
आम्बर नै नुंवी दीठ सूं
नापणो चावै
गैरा सरणाटां रो ठैराव
अर टूट्योड़ा मून रो उजास
अेकूंमेक हुया
पाणी अर दूध री तरै
मिनख बावळो
आपरी निजरां सूं घात करै
‘बड़ो आदमी’ बणनै खातर
हाथां में
कदै झंडा अर कदै डंडा उठावै
कुरसी री खींचताण में
आपरा गाबा फड़ावै
अर चैरा अेक-दूजै रा
लोई लुहाण हो जावै
मायेली पड़त रो रीतोपण खणकै
अर टूक-टूक हो जावै
क्यूं कै वै
उजाळै री बांट करणै सूं पैली
अंधारै रो हिसाब नीं चुकावै
इण तरै
बां रै हाथ कांईं आवै?