रात
आंवती ई कर देवै
म्हारा दो टुकड़ा।
एक चल्यो जावै
तेरी याद री अनंत जात्रा माथै
अनै
दूजो निभावै
दुनियांदारी रा फरज।
दिनुगै
सूरज री पै 'ली किरण
जोड़ देवै म्हनैं पाछो
अर
म्हे चाल-व्हीर होऊं
एक दूजी ई
बोझ सूं लद्योड़ी
मुसाफरी माथै।