वा छापै में

आपरी तसवीर देखनै राजी होवै

तौ वीं रै तकियै में

रात्यूं

मूंडौ दाब

कुण रोवै!

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण