सीळी पून रै समचै
उडिया
थारा बाल
म्हारा होश
किण
अदीठ आस सूं
बांध लियौ
म्हारौ मन रूपी घोडौ
थिर ऊभी थूं।
मार लियौ मीर।
कितरा ई
क्यूं नीं रचीजौ
चक्रव्यूह
थार-म्हारै बीच
अड़िग ऊभो है
अढाई आखरां रौ अभिमन्यु
बड़ जावैला
बगतसर बिचाळै
च्यार आंख्या नैं चीर।