(1)
कुण बणायो 
अेड़ो दर्द भरियो होरण
जिकै री टीस 
फौज्यां रै काळजै भी 
लागै सेलै दाई

ठाह नीं
पण जिकै ई बणायो व्हैलो
मां री ममता रो 
जाणीजाण व्हैलो।

(2)
दर्द सूं किरळांवती 
बा जद ई नीसरै 
म्हारलै कांटै आगीकर

सगळा केवै—

अबूलेंस!

पण म्हानैं फगत ईंया लागै
जाणै आ कोई मां टिपी है 
कूकती-किरळांवती
जिकी-
सागी ठौड़ पूगतां ही
हुय ज्यासी बेहोस।

स्रोत
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोडी़
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