धरती अब भी घूमै

पैली भी घूमती ही धरती

अर आगै भी घूमसी

जिण दिन थमगी धरती

आपां भी थम जास्यां

कित्तो जरूरी है घूमणो

आवो, आपां घूमां-फिरां

कैया करै

फिरै जको चरै।

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : दुष्यंत जोशी ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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