वो भूलणो चावै
अबार-अबार कट्यै
आपरै कनखै नैं
अर लूटणो चावै
एक नूंवों कनखो
वीं री बात और है
पण
म्हैं नीं छोड़ी है आस
तन्नैं फेरूं पाणैं री
तन्नैं फेरूँ पा ई लेस्यूं म्हैं...
कनखो नीं
कविता होगी है इब थूं।