आस अकलवान चाकरी चांद डर एक टांग पर गांव में जिद कब्जो काण्टेक्ट नम्बर कविता जिसी कोई चीज खुस है मा कोई पढ़ै चाए नीं पढ़ै ओंकार चाय हाळो पिताजी पुळ सींव सिरहाणैं थारी के पंचायती