आपरी माया-मया

कीं हुई-

तो सरी पण

सूत्र-सूतां बुई

कांई न्याव,

जोत

बीं जोत सूं नीं जुई

हिया उपाया

अणमणा सा भाव

थित,

जिकी थित ही

उणी सूं खुई

आप

आया-गया

एकै काळ

ताळ?

जितणी ताळ मैं

बींधै

कमल री पांखडी नै

सुई।

स्रोत
  • पोथी : चिड़ी री बोली लिखौ ,
  • सिरजक : मोहनआलोक ,
  • प्रकाशक : रवि प्रकाशन दिल्ली