आज

नारी हुयगी खास

भणाई रौ उजास

गोडावाणौ राज है

पाछै छूटग्यौ चूंघटा रौ रिवाज

साधन-सुविधावां सूं

काम-कमाई रा अवसरां सूं

तूटग्यौ जूनौ मिथक

पगां री रेत रौ

अबै इण सारू

रसोई में गैस-कूकर

मिक्सी, फ्रीज, वासिंग मसीन है

टी.वी., रेडियो री दुनिया रंगीन है

पण

पीजा-बरगर री संस्क्रति

केट-वाक ताई री प्रगति

धज्जियां उडावै

फैसन रौ भूत माथै चढ जावै

तौ

हवा में उडण वाळौ

धम्म सूं नीचै आवै

दहेज देह रौ दानव

कन्या भ्रूणहत्या नै

घरेलू हिंसा अत्याचार नै बधावै

चुनौतियां रा पहाड़ सूं

अगन परीक्षा सरीखा झाड़ सूं

मुगती सारू

मुट्ठियां बांधौ

मजबूत बणावौ इरादौ।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : रमेश ‘मयंक' ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा
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