सरूपोत में सरसरी निजरां सूं देखण में वो सादौ मिनख इज लागतौ हौ। उणनैं पांच पांवडा आंतरै सूं देखण में वो मिनख इज लागतौ हौ। लागतौ कांई, वो तौ साचांणी मिनख इज हौ। कोई कांकड़ रौ जिनावर थोड़ी हौ? पण हां, उण नैं कोई नजदीक नख सूं लेय’र चोटी सुदी घूर’र देखता तौ वो जरूर असादौ लागतौ हौ। वो बतळावण में असादौ नीं लागतौ हौ। वो तौ हंसमुख अर जिंदादिल मिनख हौ। दूजां रै ज्यूं उण रा सगळा अंग हा। वो खोड़ौ अर लंगड़ौ कोनी हो अर नीं पांगळौ हौ। माथौ बबरक्या नाहर ज्यूं अर धड़ सादा धड़ ज्यूं इज पांच फुटौ हौ। हां, हाथ उण रा लांबा नीं हा, अगरचै होवता तौ वो आखा देस मांय सिरनांवौ होवतौ। वो भणियोड़ौ हौ अर महानगर मांय किणी सरकारी पद माथै विराज्योड़ौ हौ। बिंयां वो ठेठ आदिवासी इलाका रौ हौ। पण वो आदिवासी नीं हौ। वो परणीज्योड़ौ हौ। उण री लुगाई कम पढी-लिखी ही, पण वा घर री लिछमी ही। उण नैं कोई तरै री अबखाई नीं ही। उण नैं अबखाई अेक इज ही, जिकी उणरै धणी नैं चुभती ही। वा अबखाई ही—वो लांबा फाबा वाळौ मिनख हौ।

उण रा फाबा जरूत सूं कीं बत्ता इज लांबा हा। इण वास्तै मोरिया री नाईं नाच-कूद’र जद वो पगां साम्हीं न्हाळतौ तौ उण नैं पछतावौ होवतौ। उण नैं आपरा कस्बा री बातां याद आवती। बठै भोळापा रा साइना भायला चिढ़ावता हा, “फाचरा पगां वाळौ, लांबा फाबा वाळौ।” वो उण टैम घणौ कुढतौ, मांय-मांय घुटतौ। इण कमी नैं लुकावणै खातर वो जद घर सूं बारै निकळतौ उण बगत लांबी पेंट पहरतौ हौ अर घर मांय लांबौ पाजांमौ। बिंयां वो घणौ आलीजा मिजाज वाळौ हौ। कुचरणी करणौ, उण री पुरांणी टैव ही। कदास इणी’ज खातर कस्बा रा सगळा लोग उण नैं ‘क्रिसण-कांनूड़ौ’ कैय’र उकसावता हा। कारण आदिवासी छेत्र मांय छोर्‌यां नै छेड़णौ कै कुचरणी करणौ। वांनैं सैर-सपाटा कराणौ कै सिनिमौ दिखावणौ कोई भूंडी बात नीं मानता। उण छैल-भंवर री टैव ब्याव रै पछै कायम रैई, इण वास्तै बात लाजमी ही कै उण री लुगाई इण करतब नैं कुकरतब समझती ही अर आयै दाड़ै वैराजी इज रैवती ही।

लुगाई रौ वैराजी रैवणौ लाजमी इज हौ अर हक हौ। दा पतिवरता अर आदरजोग घर-लिछमी ही। कस्बा री बात कस्बा मांय रैयगी। छेलौ कस्बा नैं छोड’र महानगर मांय नौकरी करणै तांई आयग्यौ आपरी लुगाई साथै। पण महानगर मांय आवणै रै पछै अर सरकारी नौकरी करतौ थकौ छैल-भंवर आपरौ आलीजा मिजाज कोनी छोड्यौ। हर तीजै दाड़ै भणी थकी डावड़ियां नैं सैर-सपाटा करवावणौ, सिनिमौ दिखावणौ अर अठै तक कै घर रा बैडरूम सुदी ले जावणौ। कुण धिरांणी धमीड़ौ लेवै अर कद सुदी सै’न करै? पण उण री लुगाई बरसां सूं सै’न करती आय रैयी ही अर साथै रैवती आय रैयी ही। धणी हो कै उण री अेक कोनी सुणतौ हौ। वो आपरी मनमांनी करतौ हौ। बापड़ी लुगावड़ी सोचती ही कै धणी री वजै सूं कस्बा री ठौड़ महानगर मांय कठैई घणौ इज सुख चैन सूं रोटी-बटका मिळ रैया है। केई बरियां वा धणी रै हाथाऊं मार खाय लेवती ही। अै सब वा लारला जलम रा आपरा करम रा फळ मांनती ही। धणी जकौ कीं कर रैयौ हौ, उणरै जकौ कीं करैला, वा भुगतैला आपरा करणी रा फळ। उण नैं कांई? कदैई-कदैई वा धणी सूं नीं, रांमजी सूं बतळावण करती ही कै, “रामजी, कांई लांबा फाबा वाळा मिनख इस्याई चाल-चलण वाळा होवै है? बाबजी म्हारा इज भाग मांय फाचरा पगां वाळौ मिनख लिख्योड़ौ हौ कांई?”

धणी री इण बात माथै हिवड़ौ घणा धमीड़ा लेवतौ हौ, पण बेमाता जकौ ललाट माथै भाग लिखगी, उण नैं कुण टाळ सकै? फेर उण नैं आपरै कस्बा रा अेक जोतसी महाराज री बात ओझकता-ओझकता याद आवती, “लोगबाग चावै कांई होवै पण सास्त्रां मांय लिख्योड़ौ है कै लांबा फाबा वाळौ मिनख घणौ भागधारी होया करै है अर उण नैं धरती माथै इज सरग रा सगळा सुख नसीब होवै है।”

तद उण नैं आतमबोध होवतौ कै वो जकौ कीं करतौ आय रैयौ है, वो फाबै रौ इज सगळौ पुन्न-परताप है। अगर जे उण रा फाबा लांबा नीं होता तौ इण बजराक डील नैं लेय’र आपरा फाबा माथै कियां ऊभौ होय सकै हौ? वांरी बदौलत सूं इज वो अणथक मैणत करी है अर महानगर रै संकड़ै आभै री ऊंचाइयां आभड़िजी है। वो लूंठा ओहदा माथै है अर मुट्ठीभर लोगां मांय सूं अेक है। इण आतमबोध सूं उण में अहंकार जाग्यौ अर इण सूं उणरै मनड़ै रा लाखीणा घोड़ा री लगांम ढीली पड़गी। लगांम ढीली पड़ण रौ मतळब तौ घुड़सवार इज जांणै सा। हरेक रै वस री बात थोड़ी होवै है? नतीजौ होयौ कै वो जकौ चावतौ हौ, कर गुजरतौ। जकौ चावतौ, वो हासल कर’र रैवतौ। सातवैं आभै माथै उडण वाळा नैं धरती माथै रैवण वाळी धणियांणी कठै निजरां पड़ती? उण नैं तौ वो हमेस हेठी निजरां सूं इज निरख्या करतौ हौ।

निरखणै में तौ वो हमेस आभै री कोर इज निरखतौ हौ। हेठै देखण मांय उण नैं घणौ डर लागतौ हौ, खासकर आपरा लांबा फाबां नैं देख’र! बिंयां वो दूजां रा फाबां नैं घणौ ताक’र देख्या करतौ हौ। उण नैं जोबन चढियोड़ी डावड़ियां रा छोटा-छोटा फाबा जोवण सूं घणौ आणंद होवतौ हौ। जिका पग उण नैं दाय आय जावता, उण डावड़ी नैं वो फिल्मी अंदाज सूं यूं फरमावतौ, “इन्हें जमीं पे मत उतारिये, ये किसी फरिश्ते की अमानत है। हम आपके ऐसे खूबसूरत पैरों को चूमना चाहते हैं। वाकई आप जन्नत की हूर लगती हैं।” जिण माथै उण रौ जादू चाल जावतौ, उण नैं वो आपरा लांबा फाबा कदैई नीं बतावतौ हौ। उण नैं इण बात रौ इलम हौ कै जिकी-जिकी डावड़ियां उण रा फाबा जोया, उण रै मूंढै सूं पैलां चीस निकळती अर पछै वो उण री जिनगांणी सूं आंतरै न्हाठ जावतौ।

पण कुदरत रौ करिस्मौ देखौ। आपरै पद अर गरूर सूं आभै में उडण वाळौ घोड़ौ धरती माथै ठोकर खायग्यौ। आपां री लोककथावां वाळौ लाखीणौ घोड़ौ कोनी है बावजी। घोड़ौ अरबी कोनी हौ। लाखीणा अर अरबी घोड़ा कदैई लाध्या नीं करै, पण अैड़ा लाखीणा घोड़ा नैं हेरबा वाळौ हेर लिया करै है। घोड़ौ नीं हौ, गधेड़ौ नीं हौ, बल्कि मिनख हौ। मिनख नैं हेरबा नैं कित्ती टेम लागै? ज्यांनैं टेम लागै वै रोवौ आपरै करमां नैं। पण उण रा कस्बा री इज अेक डावड़ी ही, जिकी उण री जिनगांणी में आई, जिण नैं लांबा फाबा वाळा मिनख री खोज ही। कारण कै उणी’ज कस्बा रौ बोई जोतसी महाराज बतायौ हौ कै, “छोटा फाबा घणा मनहूसी होया करै है, पण कोई लांबा फाबा वाळौ मिनख थारी जिनगांणी में आवैलौ, जिकौ लाखीणा घोड़ा माथै बैठा’र थारी जिनगांणी सुंवार देवैला।”

वा पढी-लिखी ही, इत्ती ठावी अर होसियार ही कै कस्बा मांय रैवण जोग नीं ही। बठै वा जद कोई लुगाई माथै जियादती होवती तौ अेतराज करती अर भारी विरोध दरसावती ही। लोग उण माथै हंसता अर मसखरी करता हा। तांना कसता हा। उण टैम वा खुद रै माथै घणी कुढ़ती ही। उण री इण हालत नैं जोय’र अेक मनचलियौ डावड़ौ इणी’ज कस्बा मांय रैवण वाळौ लांबा फाबा वाळा मिनख रै कनै महानगर मांय जावण री सिखामण दीवी। साथै औरूं भलामण देय दी कै अगरचै वा अठा सूं नीं गई तौ इण कस्बा मांय सड़’र मर जासी।

उण नैं लांबा फाबा वाळा मिनख री खोज ही। लाखीणा घोड़ा हेरियां तौ नीं लाधै, पण ठौड़-ठांणौ मिळ जावै तौ पछै जेज क्यांरी? वां उण मनचलिया डावड़ा री सिखामण मान’र महानगर जाय’र उणरै घरै पूगगी। लांबा फाबा वाळा मिनख री लुगाई उण नैं भोळपण सूं ओळखती ही। उण नैं इत्ती दूरां आवण रौ सबब पूछियौ। वा काज बताय दियौ तौ लुगाई हंसतोड़ी बोली, “फाचरा पगां वाळौ मिनख थांरी कांई जिनगांणी बणावैलौ? उण रा खुद रा पग कादा सूं लदबदिया है। अठै तौ म्हैं खुद सड़ रैयी हूं। कदै-कदै मन करै कै आपघात कर लूं कै बळ मरूं या डूब मरूं।”

डावड़ी पैलां उण रौ दरद जांणियौ, पछै उण नैं सगळी बातां समझाय’र कैयौ, “अबै म्हैं आयगी हूं, थांनै अकळाणै री जरूरत कोनी। लुगाई रौ दरद लुगाई नीं जांणै तौ कांई मरद जांणैला? बस, थे तौ म्हारी नौकरी री सिफारिस कर दीज्यौ।”

दोन्यूं अेक-दूजा नैं दियोड़ी सिखामण नैं गांठ बांध लीवी। घर में मोड़ी रात नसा में धुत्त होय’र लोट्यौ तौ उण डावड़ी री सिखामण सूं हंगांमौ ऊभौ कर दियौ। वा रात-भर चीस-चीस’र धणी सूं कजियौ करती रैयी। लांबा फाबा वाळौ मिनख पैली वळ्यां आपै ढोलिया माथै मून होय’र अेकलौ सोयग्यौ।

तड़कै दफ्तर जावण रै खातर जद वो उठियौ, तद उण री धणियांणी उण नैं उण डावड़ी रै बारै में विगतवार बात बताई अर कैयौ कै आपां रा हलका री पैलपोत इसी डावड़ी है, जिकी ऊंची भणाई करियोड़ी है। इण री नौकरी वास्तै थे मदद नीं करोला तौ कुण करैलौ?” डावड़ी मांय सूं सिनांन-धिनांन कर’र आई तौ उण नैं वा आपरै धणी सूं मिळाई। धणी पैला आपरा पग लुकाया अर पछै उण रा पग देख्या। डावड़ी उण नैं पैलां झुक’र मुजरौ कर्यौ अर पछै मुळक’र बोली, “म्हनैं ठाह है आप कांई लुकाय रैया हौ अर कांई देखणा चावौ हौ।”

घड़ी’क भर वा मूंन रैय’र पछै फिल्मी अंदाज मांय बोली, “मिल गए वे ही पैर, जिन्हें मैं ढूंढ़ती रही हूं। इन्हें हम से छिपाइये मत, ये किसी हूर की अमानत हैं। हम आपके ऐसे खूबसूरत पैरों को चूमना चाहते हैं। वाकई आप जन्नत के फरिश्ते लगते हैं।” अर झुक’र मांन सूं दंडवत कर्यौ।

लांबा फाबा वाळौ मिनख उण नैं आसीस दीवी या नीं, ठाह कोयनीं पण उण री इण अदा माथै वो मरग्यौ। वो फटाफट तैयार होय’र उण नैं दफ्तर साथै लेयग्यौ। खुद इज अरजी लिखी अर खुद इज टाइप कर’र उणरै हाथ में थमाई दसखत करण वास्तै। वा दसखत कर्‌या। डावड़ी नैं उणरै इज हेठै टंपरेरी नौकरी मिळगी। वा गद्गद् होयगी अर उणरै साम्हीं माथौ नवायौ। लांबा फाबा वाळौ मिनख उण छोटा पगां वाळी नै काख में दबाय ली। वा कंई बोली कोनी, गुपचुप कैबिन सूं बारै निकळी अर बताईज्योड़ी मेज री कुरसी माथै जाय’र बैठगी। अबै लांबा फाबा वाळौ छोटा पगां वाळी रौ बॉस हौ।

सिंझ्या नै वा उणी’ज लांबा फाबा वाळा बॉस री कार सूं साथै उणरै इज घरै ठाट सूं पूगी। लुगावड़ी आगै बाट न्हाळै इज ही डावड़ी री। उण नैं धीजौ नीं होयौ कै उण रौ धणी इत्तौ बेगौ घरे बावड़ैला। धिरांणी धणी री टैव जांणती ही। इण वास्तै वा डावड़ी नैं दूजा कमरा मांय आपरै साथै सुवांणी। आगलै दाड़ै रोटला अर ओटला रौ इंतजांम उणरै खातर अेक महिला गेस्ट हाउस में करवाय दियौ। डावड़ी बठां सूं नौकरी माथै जावती रैयी अर उणां रै घरै आवती-जावती रैयी। धणी मोहलबी उण डावड़ी नैं बरस भर पछै नौकरी में स्थाई करवाय दीवी।

इण बिचै लांबा फाबा वाळौ मिनख उण टूंका फाबा वाळी डावड़ी रै साथै घणी बगत लूंबा-झूंमणी करी, पण वा कदैई उणरै बख में कोनी आई। वा तौ उलट’र उण री लुगाई नैं उणरै साथै होवण वाळी जासती अर रोजीना रा छातीकूटा रै साम्हीं आवाज गुंजावण सारू धीजौ बुलंद किन्हौ। वा घणाई लांछणां रै साथै कोरट मांय मुकदमा दरज करवाय दिया। अै तीन साल सूं चाल इज रैया हा। इण बिचै वो अफसर पद माथै बधापौ लेय लियौ हौ। उणरै साथै वा आपरै घराळां री रजामंदी सूं खुद रै समाज रा चावा डावड़ा सूं ब्याव रचाय लियौ। वो अेक दूजा सरकारी दफ्तर मांय लूंठौ अफसर हौ। अबै उणरै कनैं कार ही, बंगलौ हौ अर बाकी सगळी सुविधावां ही, पण वा आं सुविधावां सूं राजी कोनी ही। कारण उणरै आदिवासी छेत्र मांय लुगायां री हालत अळूंदी इज ही। उणां नैं वांरा हक दिरवावणै री पीड़ हिवड़ै में ही। महानगर मांय रैय’र कदै-कदै उणरी इंच्छा होवती ही कै वा आपरा कस्बा मांय पाछी जाय’र वां रौ जीवण-स्तर सुधारै, इण खातर वा चावती ही कै बठै जाय’र वा अेक समाज-सेविका बणै। पण उण नैं अेक बात रौ खेद होवैलौ कै बठै जाय’र वा कदैई वांरी सेवा नीं कर सकैला, क्यूंकै उण रा फाबा टूंका है। अै मनहूसी फाबा उण नैं रांमजी क्यूं दिया? कोई कित्तौ लूंठौ बण जावै या गांव कै कस्बौ छोडण रै पछै बठै रा लोगां नैं ऊंचा उठावण री मंसा तौ रैवै इज है। उण री मंसा ही, पण बठै खुद रा मनहूसी पगां सूं कांई कर पावैली? उण नैं खेद हरमेस लखावतौ हौ।

अठीनै लांबा फाबा वाळा मिनख री लुगाई जासती अर मुकदमाबाजी सूं कायी होय’र गांव आयगी। बठीनै धणी इण खुसी मांय आपरा सगळा हेताळुवां अर मितरां नैं अर दफ्तर रा सैयोगियां नैं सकुटंब अेक आलेसान पारटी कोई लूंठी होटल में देवै। उण पारटी मांय उण टूंका पगां वाळी लुगाई नैं नूंतौ दियौ। पारटी मांय कॉकटेल री सुविधा ही। बठै सगळां लूंमा-झूंमणी कर रैया हा। इण बीचै मौकौ देख’र लांबा फाबा वाळौ मिनख छोटा फाबा वाळी लुगाई सूं लूंमा-झूंमणी करवा लाग्यौ। सगळां रै साम्हीं कुचरणी करणै लागग्यौ। उणी’ज बगत वा अेक चांटौ उण रा गालड़ा माथै जोर सूं धरियौ। बठै लुगाई रौ धणी ऊभौ हौ, सब दरसाव देख’र लांबा फाबा वाळा पे पिल पड़्यौ। होटल मांय हंगांमौ हो जावै अर बठै पुलिस बुलाय ली जावै है। अेफ.आई.आर. दरज होवै। लांबा फाबा वाळा नैं गिरफ्तार कर लेवै। आगलै दाड़ै देस रा सगळा अखबारां मांय इण कांड री खबर छपै। सरकार उण नैं उण रा पद सूं बरखास्त कर देवै। अखबारां अर टी.वी. चैनलां सूं खबर कस्बा मांय पूगै। सगळा कस्बा मांय सनसनी रै साथै कीं मनचलिया डांवड़ां रै बीचै आणंद री लैहर दौड़ जावै। अजूबा री बात कै आपांणौ क्रिसण-कांनूड़ौ अर आपणी इज राधा। कुचमादी जे छेड़छाड़ कर लीवी तौ इण में कांई बुराई?

बुराई तौ बुराई होवै। जिण री बदनांमी होवै, आतमा वा इज जांणै कै उण माथै कांई बीती है? पण उण रौ नतीजौ निकळै कै छोटा फाबा वाळी उण लुगाई नैं कोई पारटी रातूंरात आपरौ सदस्य उजागर कर देवै अर आपरा छेत्र सूं चुणाव लड़नै रै वास्तै पारटी प्रत्यासी घोसित कर देवै। बठीनै उण लांबा फाबा वाळा मिनख नैं दूजी पारटी प्रत्यासी घोसित कर देवै। आपां री राजनीति मांय कोई चूक होवै तौ आप जांणौ! नुक्ताचीनी अर डांडपटेलाई फाऊ में तौ होवै कोनी, मतळब रै मुजब इज होवै। लांबा फाबा वाळौ मिनख रेल सूं आपरै कस्बा में पूगै अर ठेसण माथै उण रौ नायक री तरियां सुवागत कियौ जावै अर फूलमाळावां सूं लाद दियौ जावै है। पछै किणी नायक री तरियां कस्बा मांय जुळस काढियौ गयौ। अचरज री बात तौ ही कै उण ठेसण माथै माळा पैरण वाळी सिरैपोत उणरी लुगाई ही। जिकी पछै जुळस मांय उणरै बगल में बैठी ही। भीड़ लारै नारा लगाय रैयी ही, “लांबा फाबा वाळौ, जिंदाबाद! फाचरां पगां वाळौ, जिंदाबाद!”

टूंका पगां वाळी लुगाई उणीं ठेसण माथै उणी’ज गाडी सूं दूजा डिब्बा मांय सूं उतरी। उण टेम उणरै सुवागत रै खातर बठै कोई नीं हा। वां संकाळू, सरमीली अर इण कस्बै रै खातर कांई नीं करण वाळी नाजुगी मैसूस करणै लागी। वा उणी जुळस रै साथै संकोचवस पाछै-पाछै चाली आय रैयी ही। वा अठै अेक संकल्प रै साथै आई ही। वा अठै इण छेत्र री लुगायां माथै होय रैयी जासती रै साम्हीं हकां री लड़ाई लड़ैला, वा उणां री सेवा करैली।

सेवा तौ वा करैला, पण कांई उणरै छेत्र वाळा उणरै साथै होवैला? भरोसौ उण नैं कुण देवैला? वा सोच इज रैई ही, इत्ती वळ्यां मांय तौ उण रा कस्बा वाळौ वो इज मनचलियौ डावड़ौ, जिकौ उण नैं महानगर मांय खिनावणै री भळावण दीवी ही, साम्हीं आय’र ऊभग्यौ। उण नैं गळा मांय माळा पैराई अर करणै लाग्यौ जै-जै कारां, “टूंका पगा वाळी जिंदाबाद! फींचा पगां वाळी, जिंदाबाद!” लांबा फाचरा वाळा रौ जुळस फीकौ पड़ग्यौ अर फींचा पगां वाळी रौ जुळस आगै बधग्यौ। आखै कस्बा मांय दोयां री इज चरचावां होवती रैयी।

आगला चुणाव मांय दोवूं आम्हीं-साम्हीं पारटियां सूं ऊभा होया। चुणाव लड़णै वाळौ परचौ भरवा सूं पैलां दोवूं संजोग सूं उणी’ज जोतसी महाराज रै कनैं पूग्या। आप-आपरी जीत रै खातर आसीस लेवण नैं झुक्या। जोतसी महाराज आसीस दीवी, पण उण री आसीस लेवण रै बजाय दोवूं अेक आपरौ लांबौ जूतौ काढियौ अर दूजी आपरी टूंकी पगरखी काढी। पछै कांई कैवणौ, दोवूं उण नैं लाग्या ठरकावण नैं। अठीनै जूता बरस रैया हा अर बठीनै आप-आपरा हैमायती हैप मांय पड़ग्या कै कांई माजरौ है? बठे दंगौ-फसाद होवै उण पैलां अेक बुजुरग वां माथै थूकतोड़ौ कूकायौ, “अरे, आं तीन्यां री इण कस्बा मांय कांई इज्जत है? अै आदिवासी लोग आदिवासी इज रैवैला, कदैई नीं सुधरैला।”

उण चुणाव मांय लांबा फाबा वाळौ हारग्यौ अर टूंका पगां वाळी जीतगी। वा आपरा धणी सूं छूटौछेड़ौ लेय लिन्हौ है अर बठीनै वो लांबा फाबा वाळौ आपरी लुगाई सूं छूटाछेड़ौ लेय’र टूंका पगां वाळी रै बैडरूम मांय आरांम सूं सरणै पड़ियौ है। वो मनचलियौ डावड़ौ पी.ए. बणग्यौ है अर जोतसी महाराज सलाहकार बणग्या है। अबै वै जद कस्बा मांय समाज सेवा रै खातर निकळै, तद सगळा लोग वां माथै थू-थू करै है, पण वां रौ दावौ है कै लांबा अर टूंकां फाबा वाळा मिळ’र इण छेत्र रौ विकास कर रैया है। करो सा, कुण बरजै है? आज आखा देस मांय लांबा अर टूंका फाबा वाळा इज तौ विकास कर रैया है? आप करौ तौ म्हनैं कांई? म्हैं तौ साची बात बताय दीवी। आपनैं दाय आवै तौ ठीक, नींतर पग देखौ सा? रांमजी आपनैं लांबा फाबा देवै...।

स्रोत
  • पोथी : साखीणी कथावां ,
  • सिरजक : हरमन चौहान ,
  • संपादक : मालचन्द तिवाड़ी/भरत ओळा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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