अंतिम कागद
रात नै सोवती वेळा लुगाई आपरै धणी नै बूझ्यौः ‘आज थे उदास-अलूणा कियां होय रैया हो? दिनूगै सूं थारो मूण्डो देख रैई हूं, एकर ई बोल्या नी, रोटी-टुकड़ो ई ठीक सिर खायो नीं। कीं बतावो तो... आज बात के होई?’
धणी चुप रैयो। पण, उणरी आंख्यां बोल-बोल कैय रैईः तनै