अेक अमलदार ठाकर हौ। पूरौ बंधांणी। तोळौ अमल गाळनै चूंप जावतौ। चूंपियां पछै गैळिजियोड़ौ सूतौ ई रैवतौ।
अमल रै सागै अेक नेम उणरौ वळै हौ के वौ रात रा अमल लियां पछै रड़ायोड़ौ सेर दूध पीवतौ। अेक हाजरियौ फगत इणी कांम माथै हौ। आपरै हाथां नित रड़ायोड़ौ दूध पावतां-पावतां सेवट हाजरिया रौ मन ई डिगियौ। वौ छांनै अेक पाव दूध आपरै वास्तै बचायनै, उण पांती रौ पांणी मिळाय देवतौ। ठाकर नै तौ अैड़ी बातां रौ चेतौ ई को रैवतौ नीं।
ठिकांणा रा चुगलखोर इणी टोय में रैवता। वै ठाकर नै चुगली-चकारी करी। कांनां रौ काचौ ठाकर चुगली सुणतां पांण उण हाजरिया माथै फेर अेक हाजरियौ निगैदास्ती में राख दियौ।
थोड़ा दिनां पछै दोनूं ईं मिळग्या। दूध में आधौ पांणी ठेलणौ सरू कर दियौ। आधौ दूध दोनूं जणा गटकाय जावता। ठाकर तौ आपरा नसा में मगन रैवतौ। आं छोटी-मोटी बातां रौ कुण ध्यांन राखै! पण चुगलखोर चुगली करियां बिना कद मांनै! वै ठाकर रा कांन भरिया के दोनूं हाजरिया मिळ परा नै आधी दूध सबोड़ जावै। रांम-रांम, देखौ रावळी कांईं सिंग्या बिगड़ी! सोना री बींटी जैड़ौ डील हौ जकौ रावळै काळा-मिट्ट पड़ग्या, थाकनै हचक व्हैगा। कोरौ पांणी ई गुण करतौ व्है तौ नदियां नै समंदर में कुण पड़ण देवै!
ठाकर वां दोनूं हाजरियां री निगैदास्ती में अेक तीजौ आदमी फेर राख दियौ। मन में जांणियौ के अबै कीकर दूध री चोरी करैला। पण थोड़ा दिनां पछै वै तीनूं जणा आपस में मिळग्या। तीनां रै मिळणा रौ नतीजौ व्हियौ— तीन पांती पांणी अर अेक पांती दूध। पण ठाकर तौ पूरण बिरमग्यांनी हौ। अमल रा नसा में वांरौ मगज तौ सातवां आसमांन माथै रैवतौ। वांरी जीभ रौ साव तौ अमल रै कारण अंगै ई खूटग्यौ हौ।
चुगलखोरां नै भणक मिळतां ईं वै फेर ठाकर नै कह्यौ— अंदाता, गजब रा घर व्है है। तीन-तीन हाजरियां रै उपरांत ई दूध री ठौड़ आपनै घणकरौ पांणी मिळै! अै लूंणहरांमी आगोतर में कांईं जबाब देवैला?
इण बार ठाकर तौ फेर अेक हाजरियौ बधाय दियौ। अबै तीन री ठौड़ चार जणा दूध री निगैदास्ती में रैवण लागा। थोड़ा दिन तौ बिना भेळ रौ दूध ठाकर नै मिळतौ रह्यौ। पण घणा दिन तांईं आ बात कायम नीं रीवी। वै च्यारूं आपस में वळै सांठ-गांठ करली। इण सांठ-गांठ रौ औ नतीजौ व्हियौ के अबै ठाकर नै दूध री ठौड़ कोरौ पांणी रौ बाटकौ पावणौ चालू कर दियौ। अमलदार ठाकर नै कीं ठाह पड़ती नीं।
नींद में सूता ठाकर री मूंछ्यां माथै वै थरकण चोपड़ देवता। तड़कै पेट कुरळाटा करतौ तौ ठाकर पूछतौ—हाजरियां म्हनै रात रा दूध पायौ कोनीं कांईं?
हाजरिया कैवता—पायौ हुकम, आपनै ध्यांन को रह्यौ नीं। हाल तौ थरकण ई मूछ्यां रै लागोड़ी है। आ कैयनै वै ठाकर रै मूंडा सांम्ही काच कर देवता। काच में थरकण भरियोड़ी मूंछ्यां देखनै ठाकर नै धीजौ व्है जातौ। पण तौ ई मूंछ्यां री थरकण सूं पेट तौ भरीजण सूं रह्यौ। ठाकर पूछ्यौ— तौ पछै तड़कै ऊठतां पांण म्हनै भूख क्यूं लागै?
हाजरिया जबाब दियौ— अंदाता रौ हाजमौ बधग्यौ व्हैला।
ठाकर कह्यौ— हां, बात तौ थें सोळै आंना साची कही। म्हनै ई जचै के हाजमौ तेज व्हैगौ व्हैला। कालै सूं रड़ायोड़ौ दो सेर दूध म्हारै वास्तै आवणौ चाहीजै। अबै सेर दूध सूं पेट रा सळ नीं निकळै।