वै पांचूं ईं मिनख हा। कोई ऊमर में छोटौ तौ कोई मोटौ। तीस अर पचास बरसां रै बिचाळै सगळां री ऊमर ही। लांठोड़ा भाई रै माथै कठै ई कठै ई धोळा झांकण लागा हा। बाकी सगळां रा माथा काळा-भंवर। उणियारा मिनखां जैड़ा ई हा। आंख्यां री ठौड़ आंख्यां। नाक री ठौड़ नाक। दांतां री ठौड़ दांत। हाथ पगां री ठौड़ हाथ पग। तांबा-वरणौ रंग। सगळां रै माथै धोळा पोत्या। किणी रै नवा। किणी रै जूंना। लट्ठा रा धोळा झब्बा अर धोळी ई धोतियां। कांनां निगोट सोना री सांकळियां अर मुरकियां। तीन जणां रै गळै काळै डोरां पोयोड़ा सोना रा फूल। सगळा ई मिनखां री बोली बोलता अर मिनखां री ई हाली हालता।
सगळां रै ई खेती रौ हलीलौ। खेत कमावता अर साखां निपजावता। गवूं, जीरौ, मिरचां, राई, बिराळी के मेथी इत्याद भांत-भांत री साखां रै मिस सूखी धरती री कूख सरसावता। देस री आजादी रै उपरांत लूंठा करसां रै फाचरै आई पण आई। आंधा होय धूळ में बीज बूरता अर जांणै जित्ती कमाई बीणता।
आं पांचूं मिनखां रै ढंग-ढाळै अैड़ौ लखावतौ के किणी मां री कूख सूं जलम नीं होय, आंरौ धरती री कूख से ई जलम व्ह्यिौ। केर, आक, खेजड़ी अर फोगड़ा फळै ज्यूं ईं, अै तरतर बध्या अर फळ्या। जांणै कुदरत री वनापती ई आंरौ भाईपौ व्है।
पांचूं ई आगा-नैड़ा कड़ूंबै भाई हा। सीर में ट्रेक्टर मोलावण खातर जोधांणै जावै हा। झब्बां रै हेटै बंडियां रै ऊंडै खीसां नोटां रौ पूजतौ जाब्तौ कर्याड़ौ हौ। सगळां रै ई मूंडै रिपियां री झीणी आव झबूका भरती ही। धन री जड़ व्है तौ काळजै ठेठ ऊंडी, पण उणरै अदीठ फळां री आब उणियारां झळकै।
मोटर सूं उतरतां ई वै खीसा संभाळता पाधरा ट्रेक्टर री सोय खाथा-खाथा वहीर व्हिया। सड़क माथै पग टिकतां पांण पाछा अजेज ऊठ जाता। वांरै बख री बात व्हैती तौ वै काळूंटी सड़क माथै पग टेकता ई नीं।
अेक पगोतियै चढ़तां ई काच रै मांय दुकांन रै धणी रो माथौ सुभट निगै आयौ। पळकती टाट माथै निजर पड़तां ई सगळा अेकण सागै गुणमुणाय, ‘सुगनां री बात, खुदौखद ओमजी मांय विराज्या।’
फड़कौ उघड़णा रै समचै ई हेम री जात ठाडी बावळ रै लैरकौ आयौ। पांचूं ई अेकण सागै ऊंडा-ऊंडा निस्कारा खांच्या। अेक जणौ बोल्यौ, ‘सुरग री मौजां तो अै लोग मांणै। अपां तौ ढोर-डांगरां री जूंण भगतां।’
ओमजी मुळकता थका झीणै अर गळगच्च सुर में खुलासौ कर्यौ, ‘थांरी खेती-पाती सूं म्हारी दुकांन रौ आटौ-साटौ करता व्हौ तौ ना कोनीं।’
‘देखौ पिछतावौला।’
‘छौ पिछतावतौ।’
लांठौड़ौ भाई ओझाड़तै कह्यौ, ‘चिपतां ई आ पिछतावा री बरकत कांईं छेड़ी। अै तौ आप-आपरा करम अर आप-आपरा कांम है। करै जिणनै ई छाजै।’
रबड़ री गुदगुदी कुरमियां माथै बैठतां ई अैड़ौ लखायौ, जांणै वै बैठा ई नीं व्है। पतियावण सारू रबड़ में तीन-चार वळा आंगलियां खसौली, तद वांनै बैठण रौ धीजौ व्हियौ। पछै कुरसियां रै हत्थां खुणियां टेक नचीता व्हैगा।
रांमा-सांमा उपरांत अेक भाई कह्यौ ‘सेवट खपतां-खपतां म्हांरौ ई नंबर आयौ। आज रौ आज ट्रेक्टर खंचावौ जकी बात करौ। सांतरौ वार अर सखरी तिथ रौ मौरत कढ़ाय घर सूं वहीर व्हिया। सदिये-सदिये गांव बड़ता व्हैणी चावां म्हे जांणांला के ट्रेक्टर आप बगसीस कर्यौ।’
‘अठै तौ आवै जकौ ई आंचौ करतौ इज आवै। दो बरस नंबर नै उडीक्या तौ अबै ट्रेक्टर सारू दो दिन रौ ई नेहचौ नीं व्है।’
‘दो दिन री भलां कही।’ छोटकियौ भाई बोल्यौ, ‘म्हांनै तौ अबै दो घड़ी री निरांत नीं व्है। म्हांरै वहीर व्हैतां ई लुगायां तौ ट्रेक्टर बधावण खातर मोड़ा माथै ऊभगी व्हैला। सौ, दोय सौ वत्ता लागै जिणरी आंट नीं, पण ट्रेक्टर तो अबार खेंचावणौ पड़सी।’
वांरी खथावळ देख ओमजी मुळक्या। ‘म्हैं गांव वाळां री आदत ओळखूं। ट्रेक्टर कालै ई रेड़ी-रेट कर दियौ। मरजी व्है जणा खांच लीजौ।’
पांचां रै ई हरख रौ पार नीं रह्यौ। जांणै आखी दुनिया रौ राज हाथै आयग्यौ व्है। बिचेटियौ भाई ओमजी री पळका पाड़ती टाट सांम्ही जोवतौ कैवण लागौ, ‘बड़भागियां रै सवा हाथ रौ लिलाड़, पछै कैड़ी ढील। जीवता रौ।’
ओमजी सै भायां नै ओळखता। नम्बर री तपास करण सारू दो-दो तीन-तीन वळा पेढ़ी ढूकोड़ा।
धंधा परवांण पूजती ओळखांण हो। दीसतौ सळियौ सुभाव। मीठी बोली। झीणी मुळक। डीलरी बणगट सूं अैड़ौ लखावतौ जांणै ट्रेक्टर रै पुरजां री गळाई किणी कारखांनै वांरै सरूप रौ निरमांण व्हियौ। मसीनां रै जोग ई वांरी काया घड़ीजी। टाट री ठौड़ टाट। पसवाड़ै कड़बटीलै बाळां री झालरी। गळा री ठौड़ गळौ। मुळक परवांण मुलक।
सांम्ही बैठा पांचूं भायां रा उणियारा निरखता बोल्या, ‘अबै तौ नेठाव व्हियौ। आखै मारग बस रा गदका खावता आया। की सुस्तावौ। बिसाई खावौ। ठाडौ पांणी पीवौ।’
इण मांन-मनवार रै उपरांत वै घण्टी बजाई। अेक आदमी मांय आयौ। लस्सी लावण रौ आदेस व्हियौ। हाजरिया रै बार्र नीसरतां ईं ओमजी कह्यौ, ‘थांरै दूध-दही री तौ होड नीं व्है, पण दूजी मनवार ई कांई करां। पांणी सस्तै दूध। मिचळौ दही। अठै तौ फगत ठाडी हवा, ठाडौ पांणी, रबड़ री गीदियां अर बिजळी री चकाचूंध है। मिळावट रा ठाट अर भेळ रा गाजा बाजा है। रिपियां माटै ई नीं धांन मिळै अर नीं मुसाला। खावण-पीवण री मनवार करतां ई लाज आवै।’
अेक भाई ड़ोढ़ फेंकतौ फारगती कीवी, ‘जे साचा मन सूं मनवार करणी चावौ तौ घणी ई ऊंची-ऊंची चीजां मिळै। सुरग रै देवतावां नै ईसकौ व्है जैड़ी। मनवार करौ तौ अै चीजां है, नींतर लस्सी सूं काळजौ ठाडौ करणौ तौ दीसै ई है।’
सांनी साव सुभट ही। ओमजी जोर सूं हंसता थका कैवण लागा, ‘अठै दुकांन में अै ऊंची चीजां नीं चालै। सिंझ्या तांईं ढबौ तौ म्हारै ठरका जोग घरै सरबरा री ना कोनीं।’
‘थांरै कैवतां पांण पूजती सरबरा व्हैगी। औ माईतपणौ ई घणौ। अेकर ट्रेक्टर निजरां तो बतावौ।’ दूजोड़ौ भाई मन री उबेड़ दरसाई।
‘लस्सी आवै। पीयनै चालां।’
‘लस्सी किसी पाछी व्हाड़ा में बड़ै। ट्रेक्टर निरख्यां उपरांत काळजौ घणौ ठरैला। वत्तौ स्वाद आवैला।’ चोथोड़ौ भाई कीं चोज नीं राख मन में फरफरावती बात होठां उफणी।
खुदौखुद ओमजी साथै वहीर व्हिया। कारखांनै ट्रेक्टर तौ तयार-टंच पड़्यौ हौ। लाल-बंब फरगुसन ट्रेक्टर। जांणै ममोलियां री ढिगली अेकठ व्ही। माथै निजर पितळतां ई पांचं भायां रौ अंतस रंगीजग्यौ।
सावळ हाथ फेर, भली-भांत निरख-निरखाय सगळा ई पाछा कमरा में आया। लस्सी री गिलासां टेबल रा काच माथै ढक्योड़ी पड़ी ही।
कुरसी माथै बैठतां ईं ओमजी कह्यौ, ‘काटीड़ां, जमांनौ बदलियौ पण बदळियौ। पैला तौ गांव में अेक ठाकर हौ, पण अबै सै मोटा करसा ठाकर बणग्या। आजादी रा सगळा थाट थांरै ई पांती आयग्या। छाछ राबड़ी रा ई जांदा पड़ता अर अबै ऊंची-ऊंची चीजां पांणी रै मापै खळकाईजै। हळ अर हींयोड़ौ बपरावतां जोर पड़तौ, जका हजारूं रिपियां रौ ट्रेक्टर खांचतां सोचौ ई नी। डारां, आजादी रौ लावौ लेणौ व्है सो ले लीजौ। मन में मत राखजौ।’
दूजोड़ौ भाई बिचाळै ई बोल्यौ, ‘कैणा धूळ रा लावा है! धांन खाय नीठ पेट भरां। हजारूं पीढ़ियां लग विखौ भुगतियौ, आज कांणी रौ काजळ ई को सुहावै नीं! भलौ व्हौ गांधी-बाबा रौ जकौ म्हांनै ई मिनखा-जूंण रौ साव लिरायौ। नींतर गांवां में बिजळी री मोटरां, रेडिया अर ट्रेक्टर रौ कांई वास्तौ!’
‘पण म्हांनै तौ अबै कागदां रा नोट खाय पेट भरणौ पड़सी। गिणिया दिन घटै, म्हां लोगां नै तौ धांन रा ई फोड़ा पड़ैला। रिपियां रौ कांईं अथांणौ घालां?’
‘थें म्हांनै ट्रेक्टर पूर्यां जावौ, म्हे थांनै धांन पूर्यां जावांला। चावौ तौ ‘माहौमाह लिखत करलां।’ चोथोड़ौ भाई जांणै मनचायौ पासौ फेंक्यौ व्है।
‘कोई किणी नै कीं नीं पूरै।’ बडोड़ौ भाई जूंझळ दरसावतौ कैवण लागौ, ‘भैंस खड़ खावै तौ आपरा पेट सारू। सै आप-आपरी गरज रा छातीकूटा है। कोई आपरी गरज ट्रेक्टर बेचै अर कोई आपरी गरज ट्रेक्टर मोलावै।’
बोलां रौ आकरौ भणकारौ कांनां पड़्यौ तौ बडोड़ा भाई नै लखायौ के बात कीं अंवळी उलळगी। अजेज पाछी केवटी ‘हां, ओमसा, बात तौ साची फरमावौ। बाबा रै परताप म्हांनै सुख री थोड़ी झांकी अवस मिळी। घर-घर धांन रा ढिगला। धीणा री धेछाळां...!’
बिचाळै ई टाटियौ माथौ धूणतां ओमजी ओड़ौ दियौ, ‘घर-घर री बातां झूठी इणिया-गिणिया मोटोड़ा करसां री अवस मन जांणी व्ही।’
छोटक्यौ भाई थोड़ौ-घणौ भण्योड़ौ हौ। ओमजी री अछेरी बात नै संवारतां कह्यौ, ‘मन जांणी तौ कांईं व्ही! दुख रौ ट्रंपौ कीं खोळौ व्हियौ तौ सोरौ सांस आयौ। सुख री झांईं तौ हाल चांद ज्यूं घणी आंतरै है, घणी आंतरै।’
बिचेटियौ भाई इण बिरथा झिकाळ नै ओछी बाढ़ण री नीत सूं कह्यौ, ‘चांद सारू झांपळियां भरणा में कीं सार नीं। मतलब री बात करौ। खीसां मांयला नोट काढ़ ओमजी नै संभळावौ। अपांरी चीजां देख-भाळनै हांनै करी। वगत तौ बातां करां तौ ई बीतै।’
अणछक, जांणै भूल्योड़ी बात याद आयगी। अजेज खीसां में हाथ बड़्या। टेबल माथै नोटां री ढिगली व्ही। पचास घोड़ां री ताकत रै विलायती फरगुसन ट्रेक्टर सागै ट्रॉली, तबियां, झूलौ अर हेरौ। साठ हजार रिपियां रौ चरमौ हौ।
अठी ओमजी नोट गिणगिणाय दराज तालकै कर्या अर उठी सगळा भाईड़ा अेकण सागै आपरी चीजां हांनै करण सारू कारखांना री सोय करी। बडोड़ा भाई रै आदेस छोटक्यौ भाई सुरंगी माळावां, साख्या सारू रातौ रंग, गुळ अर रम री छव बोतलां लेवण खातर बजार कांनी वहीर व्हेगौ। बाकी ज्यारूं भाई टिकिया जकौ हमालां साथै जुतनै झपाझप ट्रॉली भर ली। वै आपरै कांम सूं निवड़िया जित्तै छोटक्यौ भाई आयग्यौ। अणूंता कोड सूं गुळ वेंच्यौ। माळावां सूं ड्रेक्टर सिणगार्यौ। सांम्हौ-सांम्ह साख्यौ कोर्यौ। तीनूं छोटक्या भाई खांमची डलेवर हा।
आंचौ करतां-करतां ई खासौ दिन ढळग्यौ। सूरज आथूण-दिस रै ओलै लुकण री त्यारी में इज हौ। अजमेर-जैपर सड़क आळी चुंगी-चौकी सूं धकै निकळतां ई खुली सड़क ही। फरफरावती माळावां सिणगार्योड़ौ ट्रेक्टर धरर-धरर चालतौ हौ। माथै बैठा पांचूं भायां नै अैड़ौ लखायौ जांणै सड़क री ठौड़ आभौ ई वांरै ट्रेक्टर तळै पाथरग्यौ व्है। अर सांम्हली धरती वांनै नारेळी सूं ईं छोटी— साव छोटी लखाई। आथमतौ सूरज जांणै वांरा ट्रेक्टर नै निरखण सारू अेक ठौड़ रुरग्यो व्है। सूंसाड़ पाड़ती हवा जांणै वांरा ई वारणा लेवती व्है। आखी दुनिया रौ हरख वांरै हिवड़ै हिलोरां भरण लागौ। सोना रै फूलां रौ परस पाय जांणै बिछड़ता सूरज री किरण सारथक व्ही। रूंख बांटकां चापळ्योड़ा पंछी ट्रेक्टर री धरधराहट सुणनै कांनी-कांनी उडता तद वांनै अैड़ौ भरम व्हैतौ जांणै वांरै अंतस रौ आणंद आं पंखेरुवां रौ रूप धरनै अठी-उठी उडै।
के अणछक सूं-सूं करतौ तीखौ सरणाटौ वांरै कांनां खणक्यौ। झिझकनै असवाड़ै-पसवाड़ै जोयौ। पांखां थाम्योडौ अेक बाज हेटै उतर्यौ भर देखतां देखतां सिणतरा रै पाखती चापळ्योड़ा अेक धोळा सुसिया नै पजां झांप पाछौ उडग्यौ। पांचूं ईं भाई अेकण सागै हंसनै अेक दूजा रै सांम्ही जोयौ। बडोड़ौ भाई ग्यांन री बात छांटी, ‘जोग किणी भाव नीं टळै। इणी सिणतरा रै ओलै बाज रै पंजां इण सुसिया री मौत लिख्योड़ी ही।’
बाज अदीठ व्हियौ जित्तै वै उठी देखता रह्या। ट्रेक्टर री घरघराहट चालू ही। नाळा री ढळांत ढळतां चोथोड़ौ भाई बोल्यौ ‘नीं नीं करतां ई खासौ अवेळौ व्हेगौ। पण तौ ई सांतरै मौरत रौ टांणौ सजग्यौ। गांव सूं वहीर व्हेतां, सुगन ई टाळका व्हिया हा।’
चढ़ांत उतरतां ई वांनै दो-अेक खेतवा धकै साइकिल चढ्यौ अेक मोट्यार निगै आयौ। अर उठी उण मोट्यार नै कीं धरधराटौ सुणीज्यौ तौ वौ झट लारै मुड़नै भाळ्यौ— कोई ट्रेक्टर आवै दीसै। वो तुरंत पाछौ मुड़ परौ नै खाथा-खाथा पैडल दाब्या। ट्रेक्टर रै धणियां सूं उणरी वा खथावळ छांनी नीं रीवी। छेती बधतां ई वै आ बात लखग्या। ट्रेक्टर चलावतौ छोटकियौ भाई बोल्यौ, ‘कालौ कठा रौ ई! कित्ता ई आंचै पैडल मारै तौ कांईं व्है! ट्रेक्टर सूं धकै जायनै कित्तौक जावैला!’
वो थोड़ी-सीक रेस वळै बधाई। ट्रेक्टर री धरधराहट ई थोड़ी बधगी। साइकिल वाळा रै कांनां ईं इण बात रौ बेरौ पड़ग्यौ। वौ वळै आंचै-आंचै पैडल दाब्या। की छेती वळै बधगी।
‘तर-तर बधती छेती ट्रेक्टर चलावता भाई रै हीयै झरी कोनीं। वौ वळै कीं रेस खांची। ‘मां रौ मांटी, सेवट तौ थाकैला। थोड़ी ताळ मोदीजै तौ छौ मोदी-जातौ।’
‘उघाड़ माथ्या छोरां री अैड़ी इज अंवळी बुध व्है।’ बिचेटियौ भाई मूंडौ मस्कोर बोल्यौ।
धरधरातौ ट्रेक्टर सड़क नै संवेटतां गुड़कतौ हौ। सुरंगी माळावां हवा में बत्ती फरफरावण लागी। बडोड़ौ भाई दांनापणौ दरसायौ, ‘मतै ई आहळैला। क्यूं बिरथा रेस खांचै। ट्रेक्टर आगै बापड़ी साइकिल री कांई जिनात।’
चीं-चीं करती अेक तीखी चींचाट अणछक वांरै कांनां सुणीजी। बिल में वड़ता-वड़ता ऊंदरा नै अेक चील हांकरतां झांप लियौ। वा चीं-चीं उण मरता ऊंदरा री ही। थोड़ी ताळ में चीं-चीं री आवाज इण दुनिया सूं विलायगी।
सूरज री आधी कोर डूबगी ही। अबै वौ ई रात लग विलाय जावैला। डूबता सूरज रै ओळूं-दोळूं गुलाल ई गुलाल पाथरग्यौ, जांणै ट्रेक्टर रै कसूंबल रंग रौ उण ठौड़ प्रतम पड़ै।
डलेवर टाळ च्यारूं भाई डूबता सूरज सूं मीट हटाय धकै जोयौ— अरे! साइकिल अर ट्रेक्टर री छेती तौ तर -तर बधती जावै! सगळां रै मनांग्यांना अेकण सागै अेक बात ई रड़की— सौ दो सौ रुपल्ली री साइकिल अर साठ हजार रिपियां रौ ट्रेक्टर! आ कोई होड़ में होड़ है! ऊंदरौ हाथी सूं अड़थड़ै।
दूजोड़ौ भाई बोल्यौ, ‘फीफरौ फाटनै मरग्यौ तो घरवाळां सूं छेती पड़ जावैला।’
‘राम जांणै घरवाळां सूं छेती कद पड़ै, पण अपांरै ट्रेक्टर सूं तौ छेती बधती ई जावै!’ छोटोड़ा भाई रै सुर में पिछतावा रौ पुट हो।
छोटकियौ भाई थोड़ी रेस वळै खांची। नवौ अटंग ट्रेक्टर हो। पूरी रेस खांचणी ठीक कोनीं।
साइकिल वाळौ लारै मुड़नै जोयौ। साचांणी वो खासौ धकै निकळग्यौ हौ। जोस अर हूंस री थापी वौ वळै जोर सूं पैडल दाब्या। पग तौ जांणै भरणाटै चढ़ग्या व्है। डूंगर सूं खळकता झरणा रै वेग साइकिल रळकती ही। जांणै कोई वतूळियौ साइकिल रौ रूप धार लियौ व्है के वौ मोट्यार वतूळियै सवार व्हैगौ व्है।
ट्रेक्टर माथै बैठा पांचूं भाई ध्यांन सूं भाळ्यौ। साचांणी छेती निसैवार बधगी ही। अर तर-तर बधती ई जावै। माळावां सिणगार्योड़ौ विलायती ट्रेक्टर। पचास घोड़ां री ताकत रौ। साठ हजार रिपियां री लागत रौ। अर आ दो सौ रुपल्ली री साइकिल। अर औ कॉलेजियौ छोरौ। उघाड़ै माथै। नेकर पैर्योड़ौ।
हवा रौ जोर सूं फटकारौ लाग्यौ तौ अेक माळा रौ ताग तूटग्यौ। वा च्यारूं कांनी अठी-उठी फरफरावण लागी। कदैई दोवड़ी व्है जाती तौ कदैई पाधरी। अेक ताग वळै तूटग्यौ।
ट्रेक्टर चलावता छोटकिया भाई रै काळजियै फरफरावती माळावां रै मिस जांणै झाटी रा सड़िंदा लाग्या। वौ दांत पीसतौ-पीसतौ ई पूरी रेस खांचली। तोप सूं छूट्या गोळा रै वेग ट्रेक्टर गुड़कण लागी। ट्रेक्टर तळै पाथर्योड़ौ आभौ पाछौ पैला सूं ईं ऊंचौ—घणौ ऊंचौ चढ़ग्यौ हौ।
कीं छेती कम पड़ी। वळै कम पड़ी। हां, अबै तौ खासी कम पड़गी!
टोपसी रै उनमांन छोटी लागती दुनिया फगत दो ठौड़ सिंवटनै बिखरगी ही। ट्रेक्टर अर साइकिल-सवार टाळ वांनै दुनिया री किणी तीजी बात रौ ध्यांन नीं हौ। साठ हजार रिपियां रौ ट्रेक्टर अर दो सौ रुपल्ली रौ खीलौ।
जोग री बात के लगती दो मिलटरी री गाडियां सांम्ही आई तौ ट्रेक्टर री रेस धीमी करणी पड़ी। बाईसिकल वाळौ मोट्यार औ ताखौ राख खासौ धकै निकळग्यौ।
बिचेटिया भाई री आंख्यां में जांणै सूळां खुभी, ‘अै उघाड़ माथ्या छोरा कित्ता अलांम व्है। गाडियां रै उकरास लप धकै बधग्यौ।’
बडोड़ौ भाई वळै दांनापणौ बधार्यौ, ‘बापड़ौ थोड़ी ताळ अंजसै तौ छौ अंज-सतौ। कित्तौक धकै जावैला। सेवट तौ सांस तूटैला ई। बावळौ, बिरथा आपरी जवांनी गाळै। नसां ढीली पड़गी तौ लुगावड़ी रै कांम रौ ई नीं रैवैला। आ जवांनी कोई साइकिल माथै उतारण सारू नीं व्है!’
खुली सड़क मिळतां ई छोटक्यौ भाई पाछी पूरी रेस खांचली। जांणै सोर नै वत्ती बताई। हवा नै अपड़ण सारू हड़बचा भरतौ ट्रेक्टर आंधी रौ इज रूप बणग्यौ। अर तर-तर छेती भागती गी।
ट्रेक्टर री धरधराट सलबै सुणी तौ वौ अेकर वळै लारै मुड़नै जोयौ। रीस में तणकारौ देय पाछौ मुड़्यौ। फिड़कली रै उनमांन उणरा दोनूं पग चकरी चढ़्या सो चढ़ता ई गिया। अबै उणनै थोड़ौ-थोड़ौ परसेवौ होवण लागी। वौ राजस्थांन रौ सबसूं तेज साइकिल चलावणियौ हौ। हां, वौ ई अेक मिनख हौ। बूकियां री ठौड़ बूकिया। पगां री ठौड़ पग। सांस री ठौड़ सांस। सपनां री ठौड़ सपना।
नित साठ-सित्तर मील साइकिल बगडावण रौ अतूट धारौ हौ। लारलै नव महीना सूं औ नेम पाळै। धकलै महीनै अखिल भारतीय साइकिल दौड़ में अगवांणी रैग्यौ तो कदास पेरिस जावण री बारी में कीं मीनमेख नीं।
साइकिल चलावण री लकब अर आंट देख उणरै भेळी भणती अेक साथण पैल फटकारै चिपतां ई पाधरौ ब्याव सारू प्रस्ताव कर्यौ। वौ हां ना रौ सुभट कीं पड़ूत्तर नीं दियौ। पण थोड़ा दिन सांढ़ौ कर्यां, माहौमाह वंतळ कर्यां, अेक दूजा रौ अंतस सावळ ओळखियां मतै ई सगळी बातां नेगम व्हैगी। अखिल भारतीय साइकिल दौड़ रै उपरांत ब्याव रै कौल-वाचा में झिलग्यौ। वौ विखा में पळ्योड़ौ हौ। वा आसूदा घर में रम्योड़ी ही। पण दोनूं अेक दूजा माथै जीव देवता। अेक दांत रोटी तूटती। ब्याव री लाखीणी रात वांरी सेजां चांद उतरैला!
अणछक वाहेली रौ उणियारौ उणरी आंख्यां सांम्ही भळक्यौ। जांणै वा हवा रै मिस आज री आहोड निरखै। उणरौ करार दस गुणा बधग्यौ। पगां रै जांणै पांखां चिपगी। भलां वाहेली री अदीठ प्रीत सूं वत्ती इण निरजीव कळ री कांई जिनात! छेती बधण लागी सो तर-तर बधती गी। बधती इज गी। टापतां-टापतां पैला सूं ई डोढ़ी छेती पड़गी। ट्रेक्टर री रेस पूरमपूर खांच्योड़ी ही। इण सूं आगै किणी रो कीं जोर नीं हौ। पांचूं ईं भायां रौ मन मठोठी खावण लागौ। च्यारूं मेर सूंसाड़ा भरती हवा धरधराट रै पळेटै अळूझगी। आखी दुनिया रौ राज हाथै आयौ थको टीवतां-टीवतां खुस जावैला।
तोप रा गोळा रै वेग ट्रेक्टर मलापतौ हौ। साइकिल वाळा उघाड़-माथ्या छोरा रै पगां जांणै कोई तोफांन सरण मांगी व्है। वाहेलौ रौ उणियारौ उणरी आंख्यां सांम्ही झमंका भरतौ हौ। वळै छेती बधण लागी। नीं तौ उणरौ फींफरौ फाट्यौ अर नीं उणरौ सांस थाक्यौ।
आधी माळावां तूट-तूटनै हेटै खिरगी। ट्रेक्टर माथै थरपिया पूतळा दूजौ जोर ई कांईं करता। अैड़ी अपरोगी रीस आई के पगां दौड़ उणरौ अळीतौ कर न्हाकै। जांणै ट्रेक्टर रै आंगै आखौ जमारौ हार जावैला। कैड़ी अबली अर अंवळी आंटी पजी!
पण अदीठ रै जोर अर जोग रौ किणी नै कीं बेरौ नीं हौ। वतूळियौ बण्योड़ा पग अणछक खाली घूमण लागा। बैरण चैन नै अबार ई उतरणौ हौ! तौ ई वौ हाबगाब नीं व्हियौ। ट्रेक्टर रै वेग रौ कूंतौ उणरा पग मतै ई कर लियौ। वाहेली रौ उणियारौ च्यारूं दिस दीप-दीप करण लागौ। प्रीत रै परचा सूं ऊंचौ दुनिया में दूजौ की परचौ नी। वो तुरंत साइकिल थाम फूंदी रै उनमांन हेटै उतर्यौ। साइकिल अेक पसवाड़ै ऊभी करनै नेठाव सूं चैन चाढण लागौ।
तर-तर छेती कम पड़ती गी। ट्रेक्टर री धरधराट अर पांचूं भायां रौ मोद हवा में मावतौ नीं हौ। भलां जोग रा जोर नै कुण पूगै! साठ हजार रिपियां री मरजाद रै ढाकाढूमौ व्हैगौ। इण भांत रै कूड़ा संतोख सूं कोई आपरौ मन पोखै तौ उणरौ कुण कांई करै!
ट्रेक्टर री धरधराट माव सलबै सुजीजण लागी। चैन चाढ़ण री हळफळाई खथावळ में सांम्ही वत्तौ मोड़ौ व्हैतौ गियौ। अर देखतां-देखतां ट्रेक्टर तौ साव गळबै आयग्यौ। पण उणनै तौ आपरै करार अर वाहेली रै कांमण रौ पूरमपूर थावस हौ। धरधरातौ ट्रेक्टर जोड़ै आय धकै निकळग्यौ। पांचूं भाई मिनखां री बोली में जोर सूं अेकण सागै की बकिया। उण वेळा कागलां री जांन कांव-कांव करती माया कर नीसरी। ट्रेक्टर री धरधराट अर कागलां री कांव-कांव रै बिचाळै मिनखां रा आखर सावळ उघड़्या कोनीं। पण तौ ई उणियारां री रंगत अर होठां री चाळचोळ रै लटकै औ म्यांनौ तौ साव सुभट हौ के वै बोल किणी भला मिनख रै कांनां सुणै जैड़ा नीं हा।
वौ चैन चाढ़ साइकिल चढ़्यौ जणा ट्रेक्टर दो अेक खेतवा धकै निकळग्यौ। च्यारूं भाई लारै मुड़नै खिलकौ जोवण लागा। खेलौ चैन चाढ़ण रौ मिस करै। होड करण री हूंस ढोळै बैठगी दीसै!
पण वौ तौ साइकिल चढ़तां ईं पाछौ वतूळियौ बणग्यौ। अर छेती तर-तर कम होवण लागी सो व्हैती ई गी।
मगसा-मगसा अंधारा में कुदरत बूरीजण लागी ही। च्यारूं भाई आंख्यां टमकार-टमकार देखण लागा। अरे! आ नाकुछ साइकिल तौ वळै धकै निकळ जावैला।
रेस पूरमपूर खांच्योड़ी ही। साचांणी, ट्रेक्टर रा वेग परबारौ दूजौ कीं ठरकौ नीं हौ। सगळा ई मन माडै दांत पीसण लागा। चैन चाढ़ती वेळा ई परचौ बताय देणौ हौ! कैड़ौ उम्दा ताखौ चूक्या! अबै कांईं जुगत विचारै!
ट्रेक्टर रा कसूंबल रंग माथै सांवळी झांईं घिरण लागी। छोटक्यौ भाई बूझ्यौ, ‘उघाड़ माथ्यौ कठैक आवै?’
च्यारूं भाई दांत पीसता थाकल सुर में बोल्या, ‘औ तौ वळै हांकरतां ट्रेक्टर सूं धकै नीसर जावैला।’
“कांईं बात करौ!”
‘बात तौ देखां जैड़ी इज करां। औ तौ धकै निकळ्यौ क निकळ्यौ। वेम व्है तौ थूं ईं लारै जोयलै।’ बडोड़ा भाई रै गळै जांणै डूंजौ पजग्यौ व्है।
अर वौ दूजै ई छिण अपूठौ होय लारै जोयौ। आंख्यां में जांणै बीज भळकी।
‘अबै तौ इणरा बाप सूं ई धकै नीं निकळीजै।’ आं बोलां रै समचै ई छोटक्या भाई रै कांनां बाज वाळौ सरणाटौ अर ऊदरा वाळी चीं-चीं बारी-बारी सूं चटीड़ा पाड़ण लागी। थोड़ी ताळ उपरांत अेक कांन में चीं-चीं अर दूजोड़ा कांन में सरणाटो झणकतौ ढब्यौ ई नीं। बिर मांड री हवा जांणै इण पड़गूंज रै सड़िंदां चिराळी-चिराळी व्है जावैला। ट्रेक्टर रौ धरधराटौ ई इण गूंज तळै दटग्यौ हौ।
अर उठी साइकिलवाळा उघाड़ माथ्या री आंख्यां अेक दूजौ ई बिरमांड झबूका भरतौ हौ। ठौड़-ठौड़ वाहेली रा उणियारा आगियां रै उनमांन खिंवण लागा—छिड़ा-बिछड़्या तारां में, रूंख बांटकां में, धोरां में अर सांम्ही जावता ट्रेक्टर में, ट्रॉली में! आज उणरी परख व्है जांणी है। जे ट्रेक्टर सूं धकै निकळग्यौ तौ वेगौ ई ब्याव कर लेबैला। वा मांन जावै तौ कालै! नींतर पिरसूं! परलै रोज। जद-कद उणरी मरजी!
अबै तो धकै निकळणा में वारौ ई कांईं। आखी दुनिया उणरै हथळेवा री मूठी में समाय जावैला। औ इज तौ सिरै सुख अर संतोख है! आंख्यां सांम्ही सोनल सपनां रौ बेजौ बुणीजण लागौ।
अर अठी बाज रै सरणाटा अर चीं-चीं रै झरणाटै हवा रौ रेसौ-रेसौ जांणै टूंपीजण लागौ। छोटक्या भाई नै बूंझ आवती-आवती नीठ ढबी।
च्यारूं भाई किड़किड़ियां चाबता अेकण सागै बोल्या, ‘अधबेरड़ा रै हाथां आज अपांरै पोत्यां री जबर सांन बिगड़ी!’
पछै वै छोटक्या भाई नै अेक जुगत बताई— ‘पाखती आतां ई ट्रेक्टर आडौ करदै। ओटाळ कांई जांणैला के...!’
‘आ तौ म्हैं पैला ई तेवड़ली ही।’
बाज रौ सरणाटौ अर चील री झांपळी मिनख री वांणी में ढळग्या।
अर उठी बाहेली रै उणियारां रौ उजास ई खासौ बधग्यौ हौ। अेक-अेक उणियारौ साव सुभट दीखण लागौ।
अबै तौ ट्रॉली रै साव बड़ौअड़ पूगण वाळौ इज व्हैला। बाज रौ सरणाटौ अर ऊंदरा री चीं-चीं छोटक्या भाई रै माथा में चापळनै आवगी मूंन धारली।
वतूळिया रै वेग उडती साइकिल अणछक ट्रेक्टर सूं टकराई। अेकर आंख्यां सांम्ही बीज भळकी। पछै दीप-दीप करतौ अेक-अेक उणियारौ वडौ व्हैतौ गियौ। लारलौ काळौ टायर गुड़क्यां उघाड़ा माथा रौ गिरड़कौ निकळग्यौ। सगळा उणियारा अेकण सागै वडा व्हैगा।
हवा में वळै मिनखां री बोली गुणमुणाई, ‘मां रौ मांटी, ट्रेक्टर सूं धकै जावण री हूंस पाळतौ!’
छोटक्यौ भाई अलबत भण्योड़ौ हौ। तुरत अेक नवी अटकळ विचारी। थोड़ी अळगी भांय जाय ट्रेक्टर ढाब्यौ। मटिया खलता सूं बोतल काढ़ कैवण लागौ, ‘बापड़ा नै थोड़ौ रम तौ पावां। मर्यां पूठै याद तौ करैला।’
पछै मिनख रै पगां-पगां वो धकै बध्यौ। साइकिल वाळा रै पाखती जाय बोतल रौ ढक खोल्यो। धणी अर साइकिल दोनां रौ पोखालौ व्हियोड़ौ। ट्रेक्टर सूं भिड़यां आ दुरगत तौ व्हैणी इज ही। कमसल कित्ती भांय लग नवा अटंग ट्रेक्टर नै दौड़ायौ! अबै अेक आंगळ ई अठी-उठी चुळै तौ जांणूं के जवांनी फाटती ही। उठा उपरांत मूंडा में आधी बोतल दारू ऊंधाय माथा रै अड़ौअड़ डग-डग हंसती बोतल नै फोड़-फाड़ निसंक आपरौ आसण अटोप्यौ। खटकौ दबावण रै समचै ई धरधराती ट्रेक्टर धकै बधण लागौ। मोड़ै ऊभी लुगायां बाट जोवती व्हैला। घरै पूग्यां कोड सूं बधावैला।
हवा में मिनखां री हंसी रौ ठहाकौ गूंज्यौ। जीत रौ गुमांन सदावंत इणी ढाळै परगट व्है!
अर उठी काळूंटी सड़क रै माथै अेक चित्रांम किणी उम्दा पारखी नै उडीकतौ हौ। लाल रगत रै बिचाळै मिनख रौ धोळौ भेजौ! फूटोड़ी बोतल रा चिळकता टुकड़ा! उफणता जोबन री ल्हास! धोळी नेकर! ठौड़ कुठौड़ रगत रा छाबका! सोसनी बंडी! सपनां रौ किचड़कौ! मोह-प्रीत रा रेला! चित्रांम कीं बेजां नीं हौ।
पण-पण दोनूं महाजुद्धां रा चित्रांम, हिरोसिमा, नागा-साकी रा चित्रांम, वियतनाम अर बंगला देस रा बेजोड़ चित्रांम, इण नाकुछ चित्रांम सूं घणा-घणा ऊंचा हा। घणा-घणा रूड़ा-रूपाळा हा। औ चित्रांम वांरी होड तौ नीं करैं, पण गिंवारू हाथां कोर्योड़ौ वौ न्यावेक चित्रांम ई साव माड़ौ नीं हौ!
हां, तौ वै पांचूं ईं मिनख हा! मिनखां री बोली बोलता अर मिनखां री ई हाली हालता!