अेक ठाकर रै घरै कंवर जलमियौ तौ अेक ढोली ठाकरसा रै घणौ दौळौ व्हियौ। लारौ नीं छोडै। कह्यौ— बाप अंदाता, अबकै तौ इण रावळा सूं लांठी बगसीस लेयनै जावूंला। ठाकर लारौ छुडावण सारू रीस में अेक अलांम घोड़ी बगसीस कर दीवी। ढोली ठाकर नै घणौ बिड़दायौ अर आपरै घरै गियौ। घोड़ी अणहूंती अलांम अर बोछरड़ी ही। मारग में ढोली नै माथै नीं बैठण दियौ। लगांम झेलियां ढोली पाळौ-पाळौ आपरै घरै पूगौ।

घोड़ी रोजीना रा दोय सेर दांणौ मठोठ जावै, पण असवारी वास्तै अड़ण नीं देवै। अेक भंडी लत घोड़ी में फेर। कनौती भेळी करनै फटाक लात मार देवै। बारी-बारी सूं ढोली रै सगळा घरवाळां नै वा परसाद चखाय दियौ। पछै घरवाळां नै ठाह पड़गी। जद घोड़ी कनौती भेळी करण लागै तद वै आगा रैवै, नैड़ा नीं जावै। आं लातां रै सीगै दोय सेर दांणौ कीकर सज आवै! गांवतरै मांगणी करणनै जावै तद घोड़ी माथै चढ्यां फिरै तौ ढोली तौ लाख कमाया। पण वा तौ पूठा माथै हाथ नीं धरण दै। लातां मारै जकौ दांणां रा ब्याज में। अर कदै ठौड़-कुठौड़ ठरकाय दी तौ जीव सवाय में जावैला।

ढोली रा पड़ौस में अेक कुबदी नाई रैवतौ हौ। ढोली नै कुमत सूझी जकौ उण सूं सला विचारी। कह्यौ— भाया, घोड़ी असवारी नीं करण दै जकौ तौ भरपाई पण लातां मार-मारनै सैंग घरवाळां रा हाडका खोळा कर दिया। घोड़ी री इण लात मारण री लत रौ तौ कीं उपाव बता।

नाई पूछ्यौ— लात मारती वगत घोड़ी कांईं करतब करै— पूंछ हिलावती व्हैला के खारी निजर सूं जोवती व्हैला। म्हनै घोड़ी रौ रंग-ढंग तौ बता। तद ढोली कह्यौ— लात मारती वगत वा कनौती भेळी करै अर कनौती भेळी व्हैतां ईं वा लात फटकार देवै। घोड़ी रौ रासौ तौ म्हैं केई वळा आपरी निजरां पतवांणियौ।

नाई बोल्यौ— तौ इण में इत्ती सोचै जितरी कांईं बात, घोड़ी री सगळी खोड़ तौ उणरी कनौती में है। जे थूं उणरी कनौती बोच न्हाकै तौ फेर कीं टंटौ नीं। कनौती बोचियां पछै वा नीं तौ कनौती भेळी करैला अर नीं लात मारैला।

ढोली कद घोड़ियां धारी ही। नाई रै कैतां ईं उणरै पूरी जचगी। घरै आतां ईं वौ किणी नै पूछ्यौ नीं कोई ताछ्यौ। कतरणी सूं कचदेणी घोड़ी रा कांन बोच लिया। घोड़ी घणा तड़फड़ाटा करिया, पण वौ तौ उणनै सफा बूची करदी।

कांन बोचणा ढोली रै हाथ हा, पण लातां मारणी तौ घोड़ी री मरजी माथै ही। पैला कनौती भेळी करतां पांण जाच पड़ जावती के घोड़ी लात मारैला। पण अबै वा ठाह नीं पड़ै। भरोसा सूं पाखती जावै अर लप लात मार दै। अबै तौ लात खायां ईं लात रौ पतौ पड़ै।

स्रोत
  • पोथी : बातां री फुलवाड़ी (भाग-1) ,
  • सिरजक : विजयदान देथा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार प्रकाशक एवं वितरक
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