वांका ही मजबूत घरबार छै

ज्यांकी जमीं अर गाढी गार छै

ला लागै बोली अर बरताव में

सबको पण देस हित बिचार छै

कई रंगां रा फूल अेक डाळ में

गांठ मजबूत गूंथ्या हार छै

धन जोबन पर गरभै मती तूं

काया तक तो या थारी उधार छै

रामदयाल ऊंडो देख घबरावै मती

आगै चाल हाल तो मझधार छै।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : रामदयाल मेहरा ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरुभूमि शोध संस्थान (राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़)
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