थे तो हद सूं ई बध गया जी
म्हारै माथै लद गया जी।
बूझ ई नीं पावैली दुनिया
थे कद आया, कद गया जी।
बळदां साम्हीं खुद जा रैया
लागै थांरा दिन लद गया जी।
इत्तो ई सगपण है वां सूं
कागद आया, कागद गया जी।
दिन-दिन अब तो दिन गिणां हां
जग रा सब कारज सध गया जी।
थांरी बिसात ‘यकीन’ है कांईं
आछा-आछा बरगद गया जी।