मत चिलकावै ठाठ भायला

मिलणो आखर काठ भायला

उमर गाळदी करताँ-करताँ

सोळा दूनी आठ भायला

जूण गधै की जीवण हाळो

घर पावै ना घाट भायला

होळै-होळै काम बणै सब

चढ़ी उतावळ डाट भायला

कदे भूलै जो ठोकर स्यूँ

सीखै साँचा पाठ भायला

दानो है तो ध्यान राखजे

लो खावै काट भायला

झूठ बड़ा झंझट करवा दे

करणी बात सपाट भायला

सगळो ही जीवण दळ देसी

दिन-राताँ रा पाट भायला

डरी टेम स्यूँ धोल टेम रा

खड़ी करा दे खाट भायला

धरमराज रै ताखड़ियै रा

करम बणैला बाट भायला

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : जयकुमार ‘रुसवा’ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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