बोल थारो काई हाल छै

पोटली में कतनो माल छै

चोरी-छानै लूट ल्ये छै तू

या बात को मलाल छै

जग नै तूं न्हं लेबा देगो जक

जाणा थारी मोटी खाळ छै

मूछ्यां काई तान र्‌यो छै तू

थारै सामीं थारो काळ छै

तू छै उब्यो नाड़की नवार

जाणू थारी या बी चाल छै

ध्यान रख ज्यै ‘पंकज’ आपणो

अब के थारो कोरो साल छै

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : हेमन्त गुप्ता ‘पंकज’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ
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