प्रीत मनड़ै में जगा
दोस्त देवै है दगा
किण माथै विस्वास करां,
कोई नीं किण रा सगा
माल बेच उधार भाया,
खुद रै हाथ खुद नैं ठगा
अंधारै सूं बारै निकळ,
चांदणो थारै मन में जगा
छोड सुपना देखणा,
नींद आंख्यां री भगा