गंगा थमै तो थमै नैण-पाणी!

जमना रै जळ में आंसू कहाणी!

पीड़ा पाकै तो प्रीत पाकै!

गीत गळै री पोळां झांकै!

जीवण अणूतो, आणी जाणी!

जमना रै जळ में आंसू कहाणी!

सुध री तिरै न्याव नैणां-नदी में!

सदै साथ देवै नेकी-बदी में!

आपै बणी बा जलम री धिराणी!

जमना रै जळ में आंसू कहाणी!

गंगां’र जमना धार आंसुवां री!

पीड़ा, बणी मनवार आंसुवां री!

गीतां में गूंजै पीड़ा पुराणी!

जमना रै जळ में आंसू कहाणी!

स्रोत
  • पोथी : मरवण तार बजा ,
  • सिरजक : किशोर कल्पनाकांत ,
  • प्रकाशक : कल्पनालोक प्रकाशन (रतनगढ़)
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