नैणां मांय रमायां गंगा, मन री पीड़ा कासी रे
किण जलमां रौ पाप अेकलौ भोगे ओ सन्यासी रे
सोवण बेळ्यां जागण करणौ
जागण री रुत रोवै है
मिंदर री मूरत रै ओळै
सूरत किण री जोशी है
भजनां रै मिस दरद आापरौ और कठा तक गासो रे
किण जलमां रौ पाप अेकलौ भोगै ओ सन्यासी रे
मीत गळी में दरसण सारू
रोज लगाया मेळा रे
हेत समंदर सीप भरोसै
संख करीज्या भेळा रे
प्रीत हियै में इसड़ी बोई, निपजी सत्यानासी रे
किण जलमां रौ पाप अेकलौ भोगे औ सन्यासी रे
वै मनभावण बाळ बदळगा
उळझे लांबै केसा में
रंग-बिरंगी पोसाकां
रंग लीनो भगवा भेसां में
सांसां थोथा साज, गीत अब कद तक अलख जगासी रे
किण जलमां रौ पाप, अेकलौ भोगे औ सन्यासी रे
जग बांचै काया रा लेखा
मन री बातां कुण जांणै
किंतरा दरद जीव रा बैरी
बस भोगणियौ पहचांणै
घट-घट रौ है वासी पण खुदरी मनस्या बनवासी रे
किण जलमां रौ पाप अेकलौ भोगे औ सन्यासी रे