कूख म्हारी आज होई है, उजागर,
आँख में ए उमड़ती पावस बरसियै ना।
आज माँ रै हेत में बळिदान जाग्यो है,
याद बेटै री घणीं तू अब तरसिये ना॥
याद आवै, लोरियाँ गा, नींद में सपना बुलाया।
याद आवै, पावस्योडै़ दूध सूं आँचळ भिजाया॥
याद आवै, पगलियां में, पैंजणी बजती सुरीली।
याद आवै, पोतड़ै लिपटी, सुकोमल देह गीली॥
याद आवै, जद हठीलो हठ नहीं तजतो कदै तू।
याद आवै, हाथ में तलवार ले सजतो कदै तू॥
याद आवै, जद धरा माँ, पीड़ में थी तड़पड़ाई।
याद आवै, बैन थारी, आरतो ले द्वार आई।
याद आवै बीनणी सजके तनै दी थी बिदाई।
ले हिये तूफान ऊपर सूं, घणी ही मुस्कराई॥
याद आवै, जद पगां पड़, तू कह्यो, आसीस दे माँ।
याद आवै, सिर झुका जद, तू कह्यो, रण-रीस दे माँ॥
तू कहयो, “माँ देस री सीमा दबाई आज कोई।”
तू कहयो, माँ! हर खुसी है, आज म्हारी रगत-धोई।
तू गयो, मन गळगळायो, दी तनै आसीस भारी।
तू गयो, जद सूं घणेरी, याद आवै पूत थारी॥
म्हैं सुणी तू युद्ध में जा, बैरियाँ सूं की लड़ाई।
म्हैं सुणी तू प्राण दे के, लाज धरती री बचाई॥
मैं जलम दे एक बर में, होगई बेटा नचीती।
माँ-धरा पाळयो तनै तो, आज तेरै पाण जीती॥
अब सुहागण बीनणी री, मांग थारो रँग दिखावै।
रगत-भीजी बैन री चूंदड़, नयो बळिदान गावै।
देह तेरी, प्राण तेरा, देस खातर काम आया।
आज तेरी याद आई, नैण आँसू छळछळाया॥
जळ भरी आ बादळी, दुखताप सूं उमड़ी न बेटा।
अब न पछताओ हियै में, है व्यथा घुमड़ी न बेटा॥
हिरख सूं हिवड़ो भर्योड़ो, नैंण पथ सूं छळछळायो।
देख के बळिदान थारो, अश्रु-बादळ घुमड़ आयो॥
जलम-दिन हिरख्यो घणेरो, मैं नहीं पण मुस्कराई।
देश खातर मौत थारी, अब बधाई गीत ल्याई॥