लूंबा-झूंबा ढोला रै ढमकै आयो रे
महिनो फागण रो।
फागण री मस्ती लेता नै कोई कीं मत कीज्यो रे।
थोड़ो जग में जीवणो कुजस मत लीज्यो रे।
महिनो फागण रो॥
कुण जाणै कालै इण बेळ्या सगळी सागै रहसी रे।
कानी-कानी पछीड़ा तड़कै ढळ जासी रे।
महिनो फागण रो॥
गौरे हाथा गजबण रै सुरगी मैं’दी मुळके रे।
मस्ती में हसता होठां सू, हिंगळू ढळकै रे।
महिनो फागण रो॥
कहती लाज मरै मनड़ै में गीता में समझावै रे।
मदछकियो परदेसां माळै ओळूं आवै रे।
महिनो फागण रो॥
झीणो-झीणो फागण गावै गळियां ऊभ बिचाळै रे।
रस्तै बहता मिनखा पर गुलाल राळै रे।
महिनो फागण रो॥
गीतेरण गीतां री कड़िया इमरत रस बरसावै रे।
झीणै-झीणै घूंघट में बीजळ्यां पळकावै रे।
महिनो फागण रो॥
कामणिया गजगामणिया मदमाती मन में मुळकै रे।
गुलाबी होटां सू हसता दांत पळकै रे।
महिनो फागण रो॥
लूर में रीझ्योड़ी गोरी हाली एडी लरकै रे।
चूंदड़ी रै चारूं पल्ला गोटो पळकै रे।
महिनो फागण रो॥
धीमो बाजै बायरियो बसंत फूलां छायो रे।
चंग बाजै चौवटै गिगन गिरणायो रे।
महिनो फागण रो॥
अैडी रै ठमरकै रिमझिम पगल्यां पायल बाजै रे।
ढोला रै ढमकै सागै अम्बर गाजै रे।
महिनो फागण रो॥
धमचक धूम मची गळियां में गहरा धूसा बाजै रे।
गोरी-गोरी गोरड़्यां मस्ती में नाचै रे।
महिनो फागण रो॥
जोबनियो ढळ जासी कालै पाछो कोनी आवै रे।
कानदान रंगभीनो फागण गाय सुणावै रे।
महिनो फागण रो॥
लूबा-झूबा ढोला रै ढमकै आयो रे।
महिनो फागण रो॥