होळी पर गीत

रंग-उमंग का पर्व होली

कविताओं में व्यापक उपस्थिति रखता रहा है। होली में व्याप्त लोक-संस्कृति और सरलता-सरसता का लोक-भाषा की दहलीज़ से आगे बढ़ते हुए एक मानक भाषा में उसी उत्स से दर्ज हो जाना बेहद नैसर्गिक ही है। इस चयन में होली और होली के विविध रंगों और उनसे जुड़े जीवन-प्रसंगों को बुनती कविताओं का संकलन किया गया है।

गीत6

होळी

आशारानी लखोटिया

महिनो फागण रो

कानदान ‘कल्पित’

होळी गावण दे

कल्याणसिंह राजावत

फाग गीत

महेश देव भट्ट

होली आई रे...

जयशिव व्यास ‘श्रीमाली’

फागण आयो राज

किशोर कल्पनाकान्त