दूरां सूं दीखै अे कतार

दीपक जळै अे उंतावळा

ब्यांकी लोल झबकती जाय

पवन पुरवाई झालौ दे गई।

लागै चांदी भरणी रात

धरती पर चंदौ उतर्‌यौ

म्है तौ ऊभा जोवां अे बाट

सिंह सवारी माता आवसी।

ऊठौ कंवरां पेच सवार

देखौ लिछमी जी आया बारणै

कूंकूं-चांवळ लेल्यौ जी हाथ

करौजी माता जी की आरती।

आंनै घी-दूधां सूं न्हवाय

थरपौ मैया नै सामी साळ में

लापसड़ी रौ भोग लगाय

देवौ आसण मखमलिया बेसणा।

नणदल बाई आवै थौरी याद

परकी दीवाळी आपां साथ हां

तूं उडज्या रे काळा काग

जाय संदेसौ दीजै नणदल नै।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी गीत ,
  • सिरजक : आशा रानी लखोटिया ,
  • प्रकाशक : आशा पब्लिशिंग हाउस
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