सुपना पर गीत

सुप्तावस्था के विभिन्न

चरणों में अनैच्छिक रूप से प्रकट होने वाले दृश्य, भाव और उत्तेजना को सामूहिक रूप से स्वप्न कहा जाता है। स्वप्न के प्रति मानव में एक आदिम जिज्ञासा रही है और विभिन्न संस्कृतियों ने अपनी अवधारणाएँ विकसित की हैं। प्रस्तुत चयन में स्वप्न को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

गीत5

प्रीत रा सपना

रामनिवास सोनी

बरखा

रशीद अहमद पहाड़ी

सखीरी सपनै में सैण जगाई

चंद्र सिंह बिरकाळी