थे मजा करौ म्हाराज! आज थारी पांचूं घी में है
म्हैं पुरस्यौ सगळौ देस, बता– अब कांई जी में है?
गळी गळगळी होय, गांव री बिलखै साख भरै
भोळा ढाळा जीव, जीण री झूठी आस करै
लुच्चा लूटै माल, मसकरा मीठौ नास करै
कुत्ता खावै खीर, मिनख तौ बोदी घास चरै
गांव में लागण लागी आग, घरां में दीखै भागम भाग
टाबरां गायौ रोटी राग, कमावणियां रै आग्या झाग।
पण थे मजा करौ म्हाराज! आज थांरी पांचूं घी में है
म्हैं पुरस्यौ सगळौ देस, बता– अब कांई जी में है?
पीड़ पाळतू कर लेवै, पण मेखां रोज जड़ै
मिनख-मांस रा बिणजारा, बातां रा महल घड़ै
अबळा मांग मिटै दिन धोळै चूड़ी रोज झड़ै
फळसौ खुल्लौ छोड़ दियौ जद डांगर आय बड़े
गांव रै कुवै पड़गी भांग, बांदरा लड़सी सांगोपांग
सराफत झूठौ भरसी सांग, लाज री खुल्ली दीखै जांघ।
पण थे मजा करौ म्हाराज! आज थांरी पांचूं घी में है
म्हैं पुरस्यौ सगळौ देस, बता– अब कांई जी में है?
सदा सरीसा दिन बीतै, बिरथा ही जूण गमावै
तिल-तिल जीणौ भारी पड़ग्यौ, सांस काळजौ खावै
लाजां लाज मरै सड़क पर, जणौ-जणौ बतळावै
बादळ बूंद बणै जद बरसै, ओळा क्यूं बरसावै
सूरड़ा दे मिनखां नै मार, चोरटा देवै खुल्ली धार
समय री माया अपरमपार, आपणी बस्ती ठंडी ठार
पण थे मजा करौ म्हाराज! आज थारी पांचूं घी में है
म्हैं पुरस्यौ सगळौ देस, बता– अब कांई जी में है?
सतजुग री बातां रा सपना, अणदेख्या रै जावै
सुख-सपनौ लै घर स्यूं चालै, दुख-दाळद लै आवै
माथै चढग्या भाव बेगड़ा, जिनस जीव नै खावै
कवि करै कुचमाद, मिनख नै मांदा गीत सुणावै
घणा-सा बेरुजगारा लोग, पसरग्या घर-घर में बण रोग
घरां नै घेरयां राखै सोग, जीवता दीखै मरणै जोग
पण थे मजा करौ म्हाराज! आज थारी पांचूं घी में है
म्हैं पुरस्यौ सगळौ देस, बता– अब कांई जी में है?
अणभणिया आखर बूझैला, कुण बांरी बात करै
ऊंचै आसण बैठणियां, नित नूवौ घात करै
बिना साख रा सौदागर, बिन खेल्यां मात करै
बैलां बाळ उजाळौ करलै, दिन में रात करै
आंख रौ देखण सारू काम, जीभ तौ अेक टकै री चाम
टसकता दीखै जाया जाम, काढसी बापूजी रौ नाम
पण थे मजा करौ म्हाराज! आज थांरी पांचूं घी में है
म्है पुरस्यौ सगळौ देस, बता– अब काई जी में है?