रंग रंगीलो और हठीलो, म्हारौ राजस्थान जी।

प्राणा सूं प्यारो लागै, म्हारौ राजस्थान जी।

जोधाणा रौ दुर्ग बड़ौ, उम्मेद भवन हद भारी है।

सीधो सादो भेस अठै रौ, बोली मीठी प्यारी है।

धोळा धोळा धोरियां री, प्यारी मुस्कान जी।

प्राणा सूं प्यारो लागै...

गुलीबी नगरी जैपर मांयी तीर्‌‌‌‌‌‌‌थ गळता जी भारी।

हवा महल नै जन्तर मंतर, देखण आवै नर नारी।

लाम्बी-लाम्बी चौड़ी सङकां, करै घणौं गुणगान जी।

प्राणा सूं प्यारो लागै...

बीकानेर री छट्टा निराळी, सावण इण रो नित भालो।

कोटगेट बाजार भलो है, देखण में है मतवाळो।

भुजिया पापङ चम चम री है, मट्टिया आलीसान जी।

प्राणा सूं प्यारो लागै...

गौरव गाथा उदियापुर री, व्हिया सूरमा हद भारी।

महाराणा प्रताप जलमिया, जाणै दुनिया है सारी।

वीरां री धरती है प्यारी, रगतिलौ मैदान जी।

प्राणा सूं प्यारो लागै...

कोटा शहर बङौ रमणिको, शोभा बून्दी री न्यारी।

अजमेरी दरगाह न्यारी, तीर्‌‌‌‌‌‌‌थ पुष्कर जी भारी।

घर-घर गूंजै अठै रै भायां, मीरां रा गुणगान जी।

प्राणा सूं प्यारो लागै...।

स्रोत
  • पोथी : मारुजी लाखीणौं ,
  • सिरजक : कालूराम प्रजापति 'कमल'
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