म्हे आंख्यां देखी लोगां रे

बाड़ खेत ने खावै है

काचरियाँ कंवळा-कंवळा नै

टींडसड़ी अर फोफळियाँ नै॥

अण छोल्या ही गट कावै है।

आ/नूंत काळ नै ल्यावै है॥

तिल तार करै कोनी अठ्ठै

बेलां में ककू पड़ी बठ्ठै

काचरिया किचर-किचर मर ग्या

सिट्टाँ रो नाड़ कटे अठ्ठै

मोठ बाजरी फळियाँ नै

चुगयोड़ा भाँवैं अळियां नै

सगळां नै गटकावै है

नूंत काळ नै ल्यावै है॥

मोटै नैणां में भरयां नीर

कंवळै गातां में सूळ-सूळ

धिरकार जनम सै धूळ-धूळ

छोटै मोटै रो आण कठै

टकै घड़ी सै बिकै अठै

सगलां नै गट कावै है

नूंत काळ नै ल्यावै है॥

डरया बापड़ा तूंतड़िया

चींचाट करी अर आपड़िया

डोकांरो डोळ डांखळां रो

उड आय बाड़ में जा पड़िया

खेतां खेत डकारै है

जीव जलमता मारै है

सूतां नै झटकावै है

नूंत काळ नै ल्यावै है

म्है आंख्या देखो लोगां रे

आ-बाड़ खेत नै खावै है।

स्रोत
  • पोथी : जूझती जूण ,
  • सिरजक : मोहम्मद सदीक ,
  • प्रकाशक : सलमा प्रकाशन ,
  • संस्करण : Pratham
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