रुपाळी हाड़ौती, भाइली म्हारो पियर छै

केशर कस्तूरी सी महक रही री फुलवार॥

सोभाळी हाड़ौती बहना म्हारो॥

सुण म्हारी बहना यनै बात म्हूं बताऊं

हाड़ाँ नै सजाई छी या हाड़ौती छै नांऊं

सुरग सा सुरंगा बाई लागै म्हारा गाँऊं

इंदर का बाग जाणै रूखड़ां की छाँऊं

अन्न घणो री वांकै धन्न भरयो छै

तन्न हरयो छै वांको मन्न हरियो छै

गंगा सी चामल, दलिदर हरणी

घर-घर आणंद मंङ्गल करणी

सींच रही हाड़ौती का पांव॥

कोटा सरीखो ऊंको माथा को मुकुट छै

झालावाड़, बूंदी, बाराँ-भुजा ये सुभट छै

चामल सिंध ऊंका गळा की छै माळा

रेशम सी घांस बहना केश निराळा

रेल की पटरयाँ जाणै कमर कणकतौ

सड़क्यां पगाँ में आणै पायळां झणकती

झरणा छै बाजूबन्द तळायां नगीना

फैरो लगावै ‘मेज’ ‘पार’ ले संघीना

‘नथड़ी’ जग मन्दर को तळाव॥

माथा की राखड़ी गढ़ कोटा को

चामल बंधो जाणै रींगटो गोटा को

चामल को वाणी म्हारी हाड़ौती को खून है।

जीसूं ईकां जायोड़ाँ में दूणी-दूणी जूम छै

नहरयां नसाँ छै बैणा अंग ऊंका सींचती

जींसूं ही बची छै म्हारी हाड़ौती या जीवती

हरी हरियाळी जाणै चूनड़ी वा ओढयां री

धोळा फूलां को क्यारयां सितारा जाणै जोड़यांरी

कामणी ज्यूं सोळा सिणगार रुपाळी॥

हाड़ौती का लाल, बहना लागै री रुपाळा ज्ञान का उजाळा

मद मतवाळा वै तो छक-छणंगाळ

मौत तो बहना वां कै नीड़ै आवै

शूरमां का शोर सूं ही जम कांप जावै

गायां भेंस्याँ को दोजो ऊभा ही खावै

बैरी दागै गोळ्याँ पण ये बोल्याँ सूं भगाबै

गाडा टळै छै पण हाडा हाळै री

मरजादा राखबा ने माथा दे घालै री

पाणौटी छै बूंदी की कटार रुपाळी॥

पचरंग पागड़ी छै ‘आब’ वांका सिर की

घोळी खादी की वांका तन पै अंगरखी

गोडा तांईं ऊंची वांकी रुपाळी री धोवती

गळा बीच कंठी शोसर लाठी हाथां सोवती

काँधा पै फावड़ो हाथ में कुदाळी

गोडा-गोडा गारो पण पाछै सूं घर हाळी

थकबो जाणै वै तो रूकबो जाणै री

प्रीत को मिठास मन में, हेत रखाणे-री

इकदूजा को दुख बांटै नर नार रुपाळी॥

चाँद सूरज हाड़ौती की करै परकम्मा

सारा हो देव की गावै घणी खम्मा

नौ लख तारा ऊंपै नरत करै छै

नौ गिर चरणां में ध्यान धरै छै

सातूं री ‘बार’ बहना झाडू लगावै

इंदर म्हाराज जळ को छिड़को लगाबै

मंदिर मस्जिद की प्रीत घणी छै

जन सेवा की यहां रीत घणी छै

होवै पावणाँ को सांचो सत्कार

रुपाळी हाड़ौती बहना म्हारो पियर छै॥

स्रोत
  • पोथी : ओळमो ,
  • सिरजक : मुकुट मणिराज ,
  • प्रकाशक : जन साहित्य मंच, सुल्तानपुर (कोटा राजस्थान) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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