अेक बटावू भटकै दरदर, प्रीतनगर री गळ्यां अजाणी!
गिगन-गीरबै म्हैल-माळिया, किस्यै ठांव में लाधै राणी!
अळी-गळी हाटां सजियोड़ी,
घर-घर मंगळगीत सुणीजै!
रोळो-रप्पो हर आंगणियै,
हर दर री कद रीत गुणीजै!
लांबा-मारग, संकड़ी गळियां,
रंगरळियां हर-हर चौबारै!
कठै जीत री जै-जैकारां,
कठै हार जीवण नै मारै!
आपाधापी में कुण बूझै, लै पी लै, दो-गुटका पाणी!
अेक बटावू भटकै दर-दर, प्रीतनगर री गळ्या अजाणी!
कठै अगनझळ-लपटां उपड़ै,
खिंड्या पड्या बळता-अंगारा!
विरह-विथा री तपत अनोखी,
पीड़ा सूं मुरझ्या उणियारा!
कठै पून ठाडोळी चालै,
सौरम-सी सरसावै बातां!
फूला-सी कंवळी हो जावै,
पलक-जिती, मिलणै री रातां!
रात किसी! दिन किस्यो! बतावै इण नगरी में कुणसो प्राणी!
गिगन-गीरबै म्हैल-माळिया, किस्यै ठांव में लाधै राणी!
न्यारी अजब-अनोखी दुनिया,
रीत-नेम मुरजादां न्यारी!
जादू-मन्तर-तन्तर, सगळी
भांत नगरिया कामण गारी!
हर कोई पागल-सो जाणै,
हर सूरत लागै दीवाणी!
चौड़ै धाड़ै लेण-देण री,
भरमाभरमी छानीमानी!
इतरी भोळी रमत क जाणै, बाळक-हाळी धाणीमाणी!
अेक बटावू भटकै दर-दर, प्रीतनगर री गळ्यां अजाणी!
चंचलता री तेज चाल है
पगां-थकां बेबस पांगळिया!
कितरा तो वाचाळ अठै है,
कितरां री बोलै आंगळियां!
अठै हियां री न्यारी भाषा,
अठै नैण री न्यारी बोली!
अठै मुळक मिणियां कणकण में,
इतरी पीड़, न जावै तोली!
कुण राजा! कुण राणी! किणनै बूझू : म्हारी कठै धिराणी!
गिगन-गीरबै म्हैल-माळिया, किस्यै ठाव में लाधै राणी!