हे जी गौरां बाई रा जल्ला
म्है तौ राज रा डेरा निरखण आयी जी गौरां बाई रा जल्ला
हे जी जल्ला मारू सा आपरी जी देखी डेरा री चतराई सा
दैखी राज री डेरा री चतराई सा जल्ला
है जी जल्ला जी आप रा डेरा
हे जी अमलां री मनवारयां सा

हे गौरां बाई रा जल्ला
आपरा डेरा अमल्यां री मनवारयां सा जल्ला
हे जी जल्ला जी बावड़ल्यां रौ खारौ-मीठौ पाणी सा राज
हे जी जल्ला जी खारौ पाणी सौकड़ल्यां नै पावौ सा
गौरां बाईसा रा जल्ला
मीठौ पाणी गौरां बाईसा नै पावौ सा राज
हे जी जल्ला मारू रिपियां मांयलौ
हे रिपियौ बडौ विजैसाही* सा जल्ला
गौरां बाई रा जल्ला
हे जी जल्ला मारू जी छींटा मांयली छींट बड़ी
हे जी छींट बड़ी मुल्तानी सा जल्ला
हे जी गौरां बाईसा रा जल्ला
हे जी जल्ला मारू जात मांयली
हे जात बड़ी राठौड़ी सा जल्ला
हे गौरां बाईसा रा जल्ला


* विजैसाही—मारवाड़ रियासत में महाराजा विजय सिंह जी के शासन काल (ई. सन् 1780) में चाँदी का सिक्का चलाया गया जो अपनी शुद्धता के कारण विजैसाही रुपये के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

     

हे जी गौरां बाई के जल्ला

मैं तो राज के डेरे को निरखने आयी गोरां बाई के जल्ला

हे जी जल्ला मारू आपकी देखी डेरे की चतुराई

देखी राज की डेरा की चतुराई जल्ला

हे जी जल्ला जी आपका डेरा

हे जी अफीम की मनुहारे

स्रोत
  • पोथी : गणगौर के लोक-गीत ,
  • संपादक : महीपाल सिंह राठौड़ ,
  • प्रकाशक : सुधन प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : 1
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