बन्ना लाओ रे उड़द की दाळ

गवन की बोरी जी

बैठी-बैठी फुलका पोवै

बन्नासा थांरी गोरी...

बन्ना आप बड़ा हुशियार

बन्नी रौ जीव भोळौ सा

देख परायो रूप

भूल ग्या डेरो सा...

बन्ना पतळा-पतळा हाथ

हाथ बिच केळौ जी

देख परायो रूप

भूल ग्या डेरो सा...

बन्ना पिलंग बड़ो दुरियाव

नींद नहीं आवै सा

म्हारै मारुसा रे तकियो रूमाल

सति हां भरीजे सा....

बन्ना छोड्या रे माँ अर बाप

छोटा सा भाई रे

म्हैं तो छोड्यो साथणियां रौ साथ

थांरै संग आई सा...

बन्ना लाओ रे उड़द की दाल

गवन की बोरी जी

बैठी-बैठी फुलका पोवै

बन्नासा थांरी गोरी!

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