कै तौ धव रण जीतिया, कै तन घाव अछेह।
दासी हरख उतावळी, आती दीसै गेह॥
वीरपत्नी अपनी दासी को हर्ष के मारे शीघ्रतापूर्वक आती हुई देखकर विचार करती है कि इस उतावलेपन का कारण क्या हो सकता है? इसके दो ही कारण हो सकते हैं— या तो स्वामी युद्ध में जीत गए हैं अथवा उनके शरीर पर असंख्य घाव लगे हैं।