पिउ केसरिया पट किया, हूँ केसरिया चीर।

नाहक लायौ चूंदड़ी, बळती वेळां वीर॥

वीर दम्पति युद्ध में जाने की तैयारी कर रहे थे। इतने में वीरांगना का भाई अपनी बहन के लिए उपहारस्वरूप चूंदड़ी (लाल रंग की छपी साड़ी) लेकर आया। इस पर उसकी बहन कहती है। हे भाई! प्रियतम ने देश-हितार्थ युद्ध में जाने के लिए केसरिया वस्त्र धारण कर लिए हैं और मैंने भी केसरिया साड़ी ओढ़ ली है। अब सती होने का समय उपस्थित हो गया है। इस समय तुम व्यर्थ ही यह चूंदड़ी लाये हो।

स्रोत
  • पोथी : महियारिया सतसई (वीर सतसई) ,
  • सिरजक : नाथूसिंह महियारिया ,
  • संपादक : मोहनसिंह ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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