सूरज साजन आवसी बैठी पेअी खोल।
वदळ-वदळ धण वादळ्यां पहरै बेस अमोल॥
भावार्थ:- सूरज साजन आयेंगे इसलिये वह पेई खोलकर बैठी है। धन्या बादलियां बदल-बदल कर अमूल्य वेष पहन रही हैं।