सूरज साजन आवसी बैठी पेअी खोल।

वदळ-वदळ धण वादळ्यां पहरै बेस अमोल॥

भावार्थ:- सूरज साजन आयेंगे इसलिये वह पेई खोलकर बैठी है। धन्या बादलियां बदल-बदल कर अमूल्य वेष पहन रही हैं।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : छठा
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