वीजां अकुर कूटिया, अळसाया सरसाय।

हरिया-भरिया फूलड़ा, फूल्या-फळिया जाय॥

भावार्थ:- बीजों के अंकुर फूट आये हैं, अलसाये सरसित हो उठे हैं और हरे-भरे फूल फूलने-फलने लगे हैं।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : छठा
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