बाप पड़्यौ तिण ठौड़ हूँ, बेटा नहँ हटियाह।
पेच कसूमल पागरा, सिर साथै कटियाह॥
किसी समय पिता और पुत्र दोनीं रणभूमि में गये और पिता वहाँ अद्भुत पराक्रम दिखाता हुआ शत्रुओं के बल की अधिकता के कारण वीरगति को प्राप्त हो धराधायी हुआ। वीररस में छका हुआ, अपने पिता के अद्भुत पराक्रम को देखकर, पुत्र उस स्थल से तनिक भी पीछे न हटा वरन् अतुल शौर्य दिखाता हुआ वहीँ कुमारावस्था में ही वीर गति को प्राप्त हो गया, उसकी कसूमल पाग के पेच (बंध) सिर के साथ ही साथ कटे।